रामपुर. आखिर ऐसा क्या हुआ कि सपा नेता आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा रामपुर से उपचुनाव में मैदान में नहीं उतरीं। जबकि नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन चंद घंटे पहले रामपुर से खुद सपा नेता आजम खान ने एक नए उम्मीदवार की घोषणा की। उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं इस बात की हैं कि मामला आजमगढ़ में डिंपल यादव के टिकट को लेकर फंसा हुआ था। कहा तो यहां तक जा रहा है अगर आजमगढ़ में डिंपल यादव को टिकट मिलता, तो रामपुर से तंजीन फातिमा का टिकट तय था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और आजमगढ़ से लेकर रामपुर तक समाजवादी पार्टी के सभी चेहरे चर्चा में आने से पहले ही बदल गए। आजमगढ़ रामपुर के टिकट बंटवारे पर भाजपा ने चुटकी लेते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी तो परिवार की ही पार्टी है। इसमें कुछ भी नया नहीं है।
उत्तर प्रदेश में सपा ने रामपुर से आसिम रजा और आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की है कि रामपुर में सपा ने आजम खान को प्रत्याशी उतारने के लिए पूरी खुली छूट दी हुई थी। समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव की जब दिल्ली में सपा नेता आजम खान से मुलाकात हुई, तो उपचुनाव को लेकर भी चर्चा हुई थी। चूंकि आजम खान सपा से नाराज बताए जाते थे इसीलिए पार्टी ने सब कुछ सामान्य तरीके से व्यवस्थित रहे और सपा के कद्दावर मुस्लिम नेता आजम खान उनके साथ जुड़े रहें, इसलिए उन्हें रामपुर में जिसे भी वे चाहें, चुनाव मैदान में उतारने के लिए कहा गया था। ऐसे में चर्चाओं का बाजार यही गर्म था कि आजम खान रामपुर से अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य को चुनावी मैदान में उतारेंगे। सबसे ज्यादा चर्चा आजम खान की पत्नी तंजीम फातिमा को लेकर थी। लेकिन एन वक्त पर आजम खान ने खुद रामपुर से अपने सबसे करीबी आसिम रजा को उम्मीदवार घोषित कर दिया।
दरअसल सबसे ज्यादा कयास सपा की ओर से आजमगढ़ और रामपुर के उप चुनाव में प्रत्याशियों को लेकर लगाए जा रहे थे। आजमगढ़ में जहां एक दलित नेता को चुनाव में उतारने की चर्चाएं होने लगी थीं, वहीं दूसरी ओर एक नाम अखिलेश यादव के परिवार से भी सामने आ रहा था। इसमें सबसे बड़ा नाम अखिलेश यादव की पत्नी और पूर्व सांसद डिंपल यादव का चल रहा था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि दरअसल दलित प्रत्याशी अशोक के नाम पर सपा में आपसी मनमुटाव बढ़ने लगा था। चर्चा तो इस बात की हो रही थी कि यह सपा की परंपरागत सीट है इसलिए इस पर अखिलेश यादव के परिवार से ही किसी प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा जाए। इसी वजह से डिंपल यादव का नाम सबसे आगे चलने लगा था। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तो इस बात की भी हो रही थीं कि रामपुर का टिकट इसीलिए सबसे बाद में घोषित हुआ कि पहले आजमगढ़ का टिकट घोषित कर लिया जाए। देर रात जब आजमगढ़ से पूर्व सांसद और अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव का टिकट फाइनल हुआ, तब अगले दिन नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने से चंद घंटे पहले रामपुर का टिकट फाइनल किया गया। समाजवादी पार्टी से जुड़े नेताओं का कहना है कि महज दो साल के कार्यकाल की वजह से ही डिंपल यादव को चुनावी मैदान में नहीं उतारा गया।
आजमगढ़ और रामपुर की सीटों को लेकर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि समाजवादी पार्टी तो परिवार की ही पार्टी है। आजमगढ़ में सपा ने आखिरकार अपने परिवार से ही चुनावी मैदान में प्रत्याशी उतार दिया। त्रिपाठी कहते हैं कि यह तो जगजाहिर है कि सपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच लगातार और खुलकर आपसी जंग चल ही रही है। हालांकि भाजपा उनके आपसी मामलों में कोई दखल नहीं देती है। लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा इस बात की जरूर है कि आखिर आजमगढ़ में देर रात टिकट फाइनल होने के बाद रामपुर में नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के चंद घंटे पहले सपा ने अपना प्रत्याशी उतारा। निश्चित तौर पर इसे लेकर तमाम तरह की बातें हो रही हैं। हालांकि भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि एक बात बिल्कुल तय है कि आजमगढ़ और रामपुर दोनों जगह पर योगी मोदी के काम पर, डबल इंजन सरकार की लोगों से जुड़ी योजनाओं के बलबूते भाजपा चुनाव जीत रही है।