लखनऊ. गुजरात में आईपीएल की तर्ज पर चलने वाली फर्जी क्रिकेट लीग का खुलासा होने के बाद उत्तर प्रदेश में भी ऐसी ही लीग का खुलासा हुआ है। इस लीग का नाम “बिग बॉस टी20 पंजाब लीग” है। यहां भी आईपीएल की तर्ज पर मैच होते थे। गांव के खिलाड़ियों को कुछ पैसों देकर मैच खिलाया जाता था और इन्हीं मैचों पर रूस से सटोरिए सट्टा लगाते थे। यह लीग मेरठ में पिछले चार-पांच महीनों से चल रही थी। पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है।

नई दिल्ली से लगभग 60 किलोमीटर दूर मेरठ के क्रिकेट मैदान में “बिग बॉस टी20 पंजाब लीग” के मैच आयोजित किए जाते थे और सटोरिए “क्रिक हीरोज” नाम के मोबाइल एप के जरिए सट्टा लगाते थे। इस पूरी लीग को रूस की राजधानी मास्को में बैठा मास्टर माइंड संचालित कर रहा था। पुलिस ने मेरठ बाईपास रोड के पास से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनकी पहचान शिताब उर्फ शब्बू और ऋषभ के रूप में हुई है।

हापुड़ के पुलिस अधीक्षक दीपक भुकर ने कहा, “हर मैच के आयोजन के लिए मास्टरमाइंड अशोक चौधरी ऋषभ को 40,000-50,000 रुपये का भुगतान करता था। खिलाड़ियों को भी हर मैच के लिए पैसे दिए जाते थे। शिताब और ऋषभ के व्हाट्सएप कॉल और मैसेज के जरिए यह पता चला है कि फोन नंबर रूस से थे और एक नंबर पाकिस्तान का था। हम इन नंबरों की आगे जांच करेंगे।”

एसपी भुकर ने कहा कि आरोपियों के पास वॉलीबॉल मैचों के वीडियो भी मिले थे और इन मैचों पर सट्टा लगाने की योजना बनाई जा रही थी।

पुलिस ने कहा कि जांच के बाद यह पाया गया कि रैकेट का “मास्टरमाइंड” अशोक चौधरी था, जो रूस से लीग चलाने वाले आसिफ मुहम्मद के साथ संपर्क में था।

गिरोह के तौर-तरीकों के बारे में बताते हुए, पुलिस ने कहा कि आरोपी स्थानीय लड़कों को पैसे देकर मैच खिलाता था, लेकिन एप पर उनके बजाय रणजी खिलाड़ियों के नाम अपलोड कर देता था। मैच यूट्यूब पर लाइव स्ट्रीम होते थे और इन्हीं मैचों पर सटोरिए सट्टा लगाते थे।

पुलिस ने बताया कि दोनों आरोपियों के पास से कुल 15,150 रुपये नकद, 7800 श्रीलंकाई रुपये, छह मोबाइल फोन, दो डेबिट कार्ड, दो कैमरे, एक एलसीडी मॉनिटर और सट्टेबाजी में इस्तेमाल होने वाले कई गैजेट बरामद किए गए हैं।

असली आईपीएल खत्म होने के तीन हफ्ते बाद गुजरात में फर्जी क्रिकेट लीग शुरु हुई। इसमें आईपीएल की तर्ज पर मैच होते थे और रूस से सटोरिए इन मैचों पर सट्टा लगाते थे। इस मैचों में खेलने के लिए गांव कि किसानों और युवा लड़कों को बुलाया जाता था। उन्हें हर मैच के बदले 500 के करीब रुपये दिए जाते थे। आईपीएल नाम के यूट्यूब चैनल पर इन मैचों का प्रसारण किया जाता था। इन मैचों पर रूस से सट्टा लगता था। एक टेलीग्राम चैनल पर रूसी मुद्रा रूबल में दांव लगाया जाता था।

पुलिस को इस बारे में जानकारी मिली तो कार्रवाई की गई। इस दौरान पुलिस को फॉर्म हाउस से हाई-रिजोल्यूसन वाले कैमरे, एक लाइव स्ट्रीमिंग स्कोरबोर्ड और आईपीएल की भीड़ के शोर रिकॉर्डिंग भी मिली। इन सब चीजों के जरिए इस टूर्नामेंट को असली बनाने की कोशिश की गई थी।