उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में लू के कारण हुई कई मौतों के बाद केंद्र सरकार इसे लेकर अलर्ट हो गई है। बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया पूरे देश में लू से बचाव की तैयारियों को लेकर एक उच्च स्तरीय बैठक की। इस बैठक में लू से बचाव के लिए लोगों को जागरुक करने और स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारियों पर मंथन किया गया। बैठक में हीटस्ट्रोक से होने वाली मौतों की रोकथाम पर भी चर्चा की गई।

बैठक के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया ने कहा कि जिन राज्यों में लू चल रही है, वहां एक टीम भेजी जाएगी, जिसमें आपदा प्रबंधन, मौसम विभाग और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी शामिल होंगे, ये टीम राज्य सरकारों के साथ सहयोग करेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह कल देश के पूर्वी राज्यों जैसे ओडिशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, झारखंड और बिहार में आपदा प्रबंधन के अधिकारियों से वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए बात करेंगे और हालात का जायजा लेंगे। आईसीएमआर को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह हीटस्ट्रोक से होने वाली मौतों की रोकथाम के लिए पहले से तैयारी रखें।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित जिला अस्पताल में 15 जून से 18 जून तक हीटवेव से कम से कम 68 मरीजों की मौत हुई है। उत्तर प्रदेश के इस क्षेत्र में अधिकतम तापमान 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। हालांकि मरने वालों में अधिकतर लोग पहले से गंभीर या उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और हीटवेव ने उनकी समस्या को गंभीर कर दिया, जो मरीजों की मौत का कारण बना।

जब तापमान में बढ़ोतरी के साथ उमस और गर्म हवाएं यानी लू भी चलने लगें तो यह सेहत के लिए खतरनाक होता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि गर्मी में जब लोगों को पसीना आता है तो वह वाष्पित होता है। पसीने के इंसानी त्वचा से निकलने और उसके वाष्पित होकर हवा में मिलने से थोड़ी ठंडक मिलती है, जिससे इंसानी शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है लेकिन उमस बढ़ने और गर्म हवाएं चलने से ऐसा खतरनाक कॉम्बिनेशन बनता है कि पसीना वाष्पित नहीं हो पाता, जिससे शरीर का तापमान सामान्य नहीं रह पाता। ऐसी स्थिति में हीटस्ट्रोक होने का खतरा रहता है। इसके चलते ब्लड प्रेशर लो होने के साथ ही ऑक्सीजन का लेवल भी कम हो सकता है