अजमेर : साल 1992 में राजस्थान का अजमेर शहर पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था। जब, कई लड़कियों के रेप और ब्लैकमेल की घटना सामने आई थी। इस घटना के जब तार से तार जुड़े तो कई राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र से जुड़े नामी लोगों के नाम सामने आए। इस केस की पीड़िताएं सालों बाद अब भी हक की लड़ाई लड़ रही हैं। वहीं इसी बीच इस केस पर एक फिल्म आ रही है जिसका नाम है ‘अजमेर 92’। लेकिन इस फिल्म के रिलीज़ होने से पहले ही इस पर बवाल कटना शुरू हो गया है। फिल्म को लेकर आरोप लगाया जा रहा है कि इस फिल्म के जरिए अल्पसंख्यक वर्ग के खिलाफ नफरत पैदा करने की कोशिश की जा रही है। अगले महीने रिलीज होने वाली इस फिल्म के कंटेंट को लेकर ‘जमीयत उलमा-ए-हिंद ‘ नामक संगठन ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । संगठन इसे फिल्म को बैन करने की मांग कर रहा है।
जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहना है कि इस फिल्म के जरिए अजमेर शरीफ की दरगाह को बदनाम की साजिश हो रही है। लिहाजा फिल्म पर फौरन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि ‘आपराधिक घटनाओं को धर्म से जोड़ने के बजाय अपराधों के खिलाफ एकजुट कार्रवाई की जरूरत है। जबकि ये फिल्म समाज में दरार पैदा करेगी’
पुष्पेंद्र सिंह के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म में जरीना वहाब, सयाजी शिंदे, मनोज जोशी और राजेश शर्मा जैसे कलाकार हैं। ‘अजमेर 92’ को रियल बेस्ड स्टोरी बताया जा रहा है। मूवी में अजमेर में सालों पहले 100 से ज्यादा स्कूल गर्ल्स लड़कियों के ब्लैकमेल किए जाने और फिर उन्हें सीरियल सेक्सुअल असॉल्ट की कहानी कहानी दिखाई गई है। बताया जाता है कि इस केस का खुलासा तब हुआ था जब कलर लैब ने गर्ल्स की नग्न तस्वीरें छापी और उन्हें वितरित करने में मदद की।
इस केस में मशहूर चिश्ती जोड़ी फारूक और नफीस के नाम सामने आया था। जो अजमेर शरीफ दरगाह से जुड़े बड़े परिवार से संबंधित थे। उनके दोस्तों का गिरोह, इन लोगों ने स्कूल जाने वाली कई सारी युवतियों को महीनों तक धमकियों दी थी और ब्लैकमेल के जाल में फंसाया था। उनके साथ सामूहिक बलात्कार भी किया था।
इस केस में अजमेर दरगाह के केयरटेकर्स का नाम भी उछला था। उनके साथ ही कुछ नेताओं के नाम भी इस केस में सामने आए थे। इस केस में सबसे पहले अजमेर के एक स्कूल की लड़की को फंसाकर उसके न्यूड फोटोज क्लिक गए थे। उसके बाद इसी फोटो के आधार पर उसे और दूसरी लड़कियों को इस खेल में शामिल करने के लिए ब्लैकमेल किया गया था । इसके बाद इसमें एक चैन बनती गई, जिसमें कई लड़कियां शिकार बनीं।
मामले में साल 2001 में राजस्थान हाईकोर्ट ने चार दोषियों को बरी कर दिया। जबकि, कुछ पर दोष बरकरार रखा, लेकिन आंशिक रूप से कुछ आरोप कम कर दिए गए थे। 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा को घटाकर 10 साल कर दिया था। 2012 में फरार चल रहे सलीम चिश्ती को राजस्थान पुलिस ने गिरफ्तार किया। 2018 में सुहैल गनी चिश्ती ने पुलिस में सरेंडर कर दिया था।।