स्टांप कमी के मामले में सहायक महानिरीक्षक निबंधन (एआईजी स्टांप) कमलेश शुक्ल को निलंबित कर दिया गया।
आरोप है कि वर्ष 2009 में बरेली सदर के उप निबंधक के पद पर रहते हुए उन्होंने मेसर्स रितम चैरिटेबल एंड एजुकेशनल सोसाइटी बरेली के पक्ष में लेखपत्र (रजिस्ट्री) निष्पादित किया था। इसमें 25 करोड़ 64 लाख 95 हजार 180 रुपये स्टांप शुल्क कमी का मामला सामने आया था। मामले की जांच पूरी होने तक निलंबित एआईजी स्टांप को महानिरीक्षक (आईजी) निबंधन शिविर कार्यालय लखनऊ से संबद्ध कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक, एआईजी स्टांप को 12 अक्तूबर को निलंबित किया गया। शासन से जारी आदेश में कहा गया कि बरेली सदर तहसील क्षेत्र में उप निबंधक रहते हुए कमलेश शुक्ल ने संबंधित संस्था के पक्ष में बैनामा प्रपत्र (लेखपत्र संख्या 6713/2009) को ज्वाइंट वेंचर अनुबंध मानते हुए निष्पादित किया था।
इस पर उस समय 70 लाख 500 रुपये स्टांप शुल्क एवं पांच हजार रुपये की निबंधन फीस जमा की गई, जो गलत थी। उन्होंने स्टांप शुल्क की कमी के बिंदु पर राज्य के हितों की अनदेखी करते हुए विलेख पंजीकृत किया गया। इससे 25 करोड़ रुपये से अधिक के स्टांप शुल्क कमी का प्रकरण सामने आया है।
बतौर एआईजी स्टांप कमलेश शुक्ल का गोरखपुर में कार्यकाल ढाई साल से अधिक समय का रहा। उनके कार्यकाल के दौरान ही करीब तीन महीने पहले पूर्व डीएम विजय किरन आनंद के निर्देश पर उनके कार्यालय भवन स्थित पूर्व उप निबंधक केके तिवारी के कार्यालय में छापा पड़ा था।
बैनामों में अतिरिक्त धन वसूली और दलालों की सहभागिता का आरोप लगाते हुए उप निबंधक समेत चार लोगों पर कैंट थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में उप निबंधक को निलंबित भी किया जा चुका है। पुलिस मामले की विवेचना कर रही है।