मैनपुरी. मैनपुरी लोकसभा के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन पत्रों की जांच खत्म हो गई है और अब मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव की राह आसान होती दिख रही है, क्योंकि उनके सबसे बड़े विरोधी का नामांकन खारिज हो गया है और अब मुकाबला बीजेपी-सपा के बीच हो गया है.
मैनपुर लोकसभा सीट से अखिलेश यादव के सबसे बड़े विरोधी का नामांकन खारिज हो गया है, जिसके बाद डिंपल यादव की राह आसान हो गई है. अखिलेश के विरोधी ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के उम्मीदवार रमाकांत कश्यप का पर्चा खारिज हो गया है.
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के लिए नामांकन पत्रों की जांच के बाद सात उम्मीदवारों का पर्चा खारिज हुआ है. मैनपुरी के सियासी रण में अब कुल छह उम्मीदवार बचे हैं और सपा का सीधा मुकाबला बीजेपी के रघुराज सिंह शाक्य के बीच है, क्योंकि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने इन चुनावों में अपने उम्मीदवार ही नहीं उतारे हैं.
नामांकन पत्रों की जांच प्रक्रिया खत्म हो गई हैं, हालांकि उम्मीदवार अभी भी अपने नामांकन वापस ले सकते हैं और इसके लिए आज आखिरी दिन है. बता दें कि मैनपुरी उपचुनाव के लिए कुल 13 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किया था, लेकिन 7 उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हो चुका है. आज शाम तक फाइनल हो जाएगा कि मैनपुरी उपचुनाव में कौन-कौन उम्मीदवार होगा.
मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ई थी. इस सीट पर अगले महीने 5 तारीख को वोट डाले जाएंगे और मतों की गणना 8 दिसंबर को होगी. इसके अलावा रामपुर सदर और खतौली विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं, जो मौजूदा विधायकों क्रमश: आजम खान और विक्रम सिंह सैनी को अलग-अलग मामलों में अदालतों द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के कारण खाली हुई हैं. हालांकि, उपचुनावों के नतीजों से न तो केंद्र सरकार और न ही योगी आदित्यनाथ सरकार पर कोई खास फर्क पड़ेगा, क्योंकि दोनों जगह भाजपा को बहुमत हासिल हैं, लेकिन नतीजे 2024 में होने वाले आम चुनाव के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.