रालोद और सपा गठबंधन की पहली रैली सात दिसंबर को मेरठ में होगी। इसी रैली में गठबंधन के एलान के साथ सीटों की घोषणा भी हो सकती है। इसके बाद पश्चिम में चौधरी जयंत और अखिलेश यादव एक साथ रैली में नजर आएंगे। जयंत की दबुथवा में दो दिसंबर को होने वाली रैली की तारीख इसी वजह से बदली गई है। रैली स्थल अभी तक दबुथवा में ही रखा गया है। एक-दो दिन में दोनों पार्टी की तरफ से रैली की तैयारियां शुरू कर दी जाएंगी। 

बागपत और मुजफ्फरनगर में अधिकतर सीटों पर रालोद ही लड़ेगा। सूत्रों की मानें तो बागपत की सभी तीन सीटों बागपत, बड़ौत और छपरौली विधानसभा पर रालोद ने दावेदारी की है। मुजफ्फरनगर में छह सीटों में से चरथावल को छोड़कर बाकी पांच सीटों पर रालोद की दावेदारी है। चरथावल सीट सपा के खाते में जाने की चर्चा है। इस सीट से पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक के बेटे पूर्व विधायक पंकज मलिक सपा प्रत्याशी बन सकते हैं। मलिक कुछ दिन पहले ही कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हुए हैं। 

मेरठ में सात विधानसभा में दो से तीन पर रालोद की नजर है। कैंट और सिवालखास तय मानी जा रही हैं, दक्षिण या हस्तिनापुर में से भी एक सीट पर रालोद लड़ सकता है। शामली में तीन सीटों में से थानाभवन और शामली पर रालोद की दावेदारी है। बिजनौर में दो सीटों नहटौर और बिजनौर पर रालोद की नजर है। सहारनपुर में देवबंद समेत दो सीटों पर रालोद ने दावेदारी की है। हापुड़ जिले की तीन विधानसभा सीटों में से एक हापुड़, गाजियाबाद में मुरादनगर, मोदीनगर और लोनी सीट भी रालोद के खाते में जा सकती है।

वहीं बुलंदशहर में तीन से चार सीटें, अलीगढ़ में दो, मथुरा में चार, हाथरस में सादाबाद, अमरोहा में नौगांवा सादात सीट पर रालोद की मजबूत दावेदारी है। लखीमपुर खीरी में एक और आगरा में दो सीटों पर दावेदारी की गई है। चौधरी जयंत सिंह और अखिलेश यादव की पहली मुलाकात में कुछ सीटों को लेकर सहमति नहीं बनी थी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक तीन-चार दिन में दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात के बाद सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।
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