नई दिल्ली। राज्यसभा सीट के लिए पूर्व कांग्रेसी कपिल सिब्बल को समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन को पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत दिलाने में मदद करने के लिए एक बदले के रूप में देखा जा रहा है। दो साल से अधिक समय के बाद उनकी रिहाई हुई है। इसी तरह सपा के दूसरे राज्यसभा प्रत्याशी जावेद अली खान पर वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव का आशीर्वाद है। लेकिन, जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने का समाजवादी पार्टी का फैसला आसान नहीं रहा।

बुद्धवार को जिस तरह अखिलेश यादव द्वारा जयंत चौधरी को राज्यसभा न भेजे जाने की खबरें सामने आने के बाद जिस तरह सोशल मीडिया पर बवाल मचा, माना जा रहा है कि उसी के चलते आज अखिलेश यादव को बैकफुट पर आकर जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजने का फैसला लेना पडा। हालांकि पिछले 24 घंटों में कईं ऐसे घटनाक्रम भी हुए, जिसके चलते अखिलेश यादव को परेशानियों का सामना करना पडा।

बुद्धवार को राज्यसभा के लिए प्रत्याशी के तौर पर घोषणा न होने के बादा रालोद प्रमुख और सपा के सहयोगी जयंत चौधरी खुद को मुश्किल में पा रहे थे। चुनाव से पहले उन्हें एक सीट देने का वादा किया गया था, लेकिन डिंपल यादव सपा की तीसरी और अंतिम सीट के लिए एक गंभीर दावेदार बन गई।

आपको बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी और आरएलडी के बीच गठबंधन हुआ था। हालांकि, इसे चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। अगर आरएलडी के जयंत चौधरी राज्यसभा जाने से चूकते तो दोनों दलों के गठबंधन पर भी इसका असर पडता।

सूत्रों की मानें तो जयंत चौधरी को अखिलेश यादव ने राज्यसभा भेजने का वादा किया था। अखिलेश चाहते थे कि जयंत सपा के सिंबल पर राज्यसभा जाएं, लेकिन जयंत राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार के तौर पर सपा का समर्थन चाहते थे। आपको बता दें कि सपा के पास राज्यसभा की तीन सीटें हैं। कपिल सिब्बल और जावेद अली खान नामांकन भर चुके हैं। तीसरे उम्मीदवार के तौर पर डिंपल यादव के नाम की चर्चा चली, लेकिन आज जयंत चौधरी का नाम फाईनल हुआ।

समाजवादी पार्टी की ओर से कांग्रेस के सीनियर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया। इसके बाद चाचा प्रो. रामगोपाल यादव की नाराजगी सामने आई। बाहर के व्यक्ति को लाकर राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव के विरोध में वे खड़े हुए तो मामला गरमा गया। पार्टी की अंदरूनी राजनीति से बेहाल अखिलेश यादव ने रामगोपाल के करीबी जावेद अली खान को राज्यसभा भेजने की बात कर चाचा को मनाया। बुधवार को कपिल सिब्बल और जावेद अली खान ने राज्यसभा का नामांकन कर दिया।

इसके बाद से डिंपल यादव के नाम की चर्चा चल रही थी। लेकिन, इस बीच जयंत चौधरी की नाराजगी का मामला सामने आ गया। इसके बाद डिंपल यादव को साइड कर अखिलेश ने वर्ष 2024 को ध्यान में रखते हुए जयंत को राज्यसभा भेजने की रणनीति बना ली। यूपी चुनाव 2022 के रिजल्ट आने के बाद से अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच संवाद कम हो गया था।

आजम खान की नाराजगी सामने आने के बाद जयंत चौधरी ने जब रामपुर पहुंच कर उनके परिवार से मुलाकात की तो कई बातें उठने लगी थीं। सवाल यह भी उठा था कि क्या आजम खान जयंत चौधरी के साथ जाएंगे। हालांकि, जयंत चौधरी ने गठबंधन धर्म का हवाला देकर इस मुलाकात की बात को अलग मोड़ दे दिया। अखिलेश मानकर चल रहे हैं कि जयंत चौधरी को साधकर वे जाट वोटरों को साधेंगे ही। साथ ही, आजम खान की परेशानी वाले दिनों में परिवार से मुलाकात करने वाले जयंत चौधरी के जरिए वे उन्हें भी मनाने में कामयाब होंगे। ऐसे में डिंपल यादव की जगह आखिरी समय में उन्हें राज्यसभा भेजने की तैयारी की गई है।

चौधरी चरण सिंह के पोते 43 वर्षीय जयंत चौधरी पारीवारिक राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। वे वर्ष 2009 से 2014 के बीच मथुरा लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। मोदी लहर में वे 2014 का लोकसभा चुनाव हार गए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उन्हें वह सफलता नहीं मिली। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मुस्लिम समीकरण को बना पाने में वे कामयाब नहीं हुए। चुनाव के बाद से ही जयंत चौधरी के राज्यसभा भेजने की चर्चा शुरू हो गई थी। लेकिन, पिछले दिनों लगातार सपा की ओर से तय किए गए नामों में उनके नाम की चर्चा नहीं थी। ऐसे में जयंत के छिटकने का खतरा बनने लगा था। अखिलेश ने अपने फैसले से उन्हें साथ जोड़ा है।

डिंपल यादव अब लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। वे अखिलेश यादव की ओर से खाली की गई आजमगढ़ लोकसभा सीट पर अपनी उम्मीदवारी पेश कर सकती हैं। आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा चुनाव होना है। रामपुर से आजम खान ने सीट खाली की है। माना जा रहा है कि आजम खान अपनी पत्नी तंजीन फात्मा को रामपुर से चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। ऐसे में यूपी के राजनीतिक मैदान में समीकरणों का बनना और बिगड़ना जारी है।