टमाटर ही नहीं प्याज और अन्य हरी सब्जियों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं। सब्जियों में इस महंगाई को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर हमले करने भी शुरू कर दिए हैं। आंध्र प्रदेश टमाटर का सबसे ज्यादा पैदावार करने वाला राज्य है, लेकिन बारिश और बाढ़ के बाद टमाटर के दाम उस राज्य में भी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। बारिश से तो असर पड़ा ही है, साथ ही डीजल की ऊंची कीमतों के कारण भी टमाटर कुछ ज्यादा ही उछला है।
आंध्र प्रदेश में सामान्यतया टमाटर 58 हजार से ज्यादा हेक्टेयर इलाके में उत्पादन किया जाता है और राज्य में करीब 27 लाख मीट्रिक टन टमाटर का उत्पादन होता है। चित्तूर के मदनपल्ले टमाटर का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है। लेकिन इस साल टमाटर का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले चित्तूर और अनंतपुर जिलों में बाढ़ का कहर फसलों पर देखने को मिला है।
उत्तर भारत में अभी ज्यादातर आपूर्ति महाराष्ट्र के सोलापुर और कर्नाटक के चिकबुल्लापुर से हो रही है। चेन्नई में टमाटर 140 रुपये किलो तक बिक रहा है। थोक कारोबारियों का कहना है कि आपूर्ति में कमी और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा जमाखोरी के कारण कीमतें बढ़ी हैं। यहां स्थानीय स्तर पर उत्पादन बेहद कम है औऱ ज्यादातर आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से ही खेप आती है।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा है, किचन में टमाटर औऱ प्याज पर धारा 144 लागू कर दी गई है। शिमला मिर्च 100-120 रुपये प्रति किलो है और प्याज 50 रुपये में। खेड़ा ने कहा, डीजल पर टैक्स बढ़ाने और कृषि उपकरणों पर जीएसटी लगाने से उत्पादन लागत बढ़ी है। सरकार को यह सोचना चाहिए कि महीने के अंत में आखिर कितना पैसा आम आदमी के पास बचेगा। उन्होंने कहा कि मुफ्त राशन भी इस माह से बंद हो जाएगा। सरकार ने कोविड के बाद महंगाई पर नियंत्रण के लिए कोई तैयारी नहीं की है।
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