प्रयागराज| माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या के मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) ने बृहस्पतिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप पत्र प्रस्तुत कर दिया। पहले जहां लवलेश तिवारी को इस शूटआउट कांड का सरगना बताया जा रहा था, वहीं चार्जशीट में मास्टर माइंड सनी सिंह को बनाया गया है।
सबसे अहम बात यह रही कि तीन महीने की लंबी मशक्कत के बाद भी एसआईटी इस सनसनीखेज हत्याकांड को अंजाम देने वाले तीनों शूटरों के एक भी मददगार के नाम का खुलासा नहीं कर सकी। शाम को दाखिल किए गए आरोप पत्र का संज्ञान लेते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार गौतम ने तीनों आरोपियों को 14 जुलाई को अदालत के समक्ष हाजिर होने का आदेश दिया है।
तीनों आरोपियों सनी सिंह, लवलेश तिवारी और अरुण मौर्य की न्यायिक अभिरक्षा की अवधि 14 जुलाई को समाप्त हो रही है। इसके ठीक एक दिन पूर्व ही आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार गौतम ने पुलिस की ओर से प्रस्तुत किए गए विवेचना के परिणाम, आरोप पत्र के साथ संलग्न तकरीबन दो हजार पेज की केस डायरी, प्रथम सूचना रिपोर्ट, नक्शा नजरी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, चालान, फोटो, परीक्षण रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेजों का अवलोकन किया।
इसके बाद अदालत ने कहा कि अपराध का संज्ञान लिए जाने का पर्याप्त आधार है। अदालत ने आरोपियों को 14 जुलाई को न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश दिया, ताकि उन्हें अभियोजन पत्रों की नकल उपलब्ध कराई जा सके और मामले को विचारण के लिए सत्र न्यायालय को सुपुर्द किया जा सके। उधर, दो हजार पेज की केस डायरी और 56 पेज के आरोप पत्र में पुलिस ने कहा है कि सनी सिंह ही हत्याकांड का मास्टरमाइंड है। अतीक और अशरफ की हत्या के बाद तीनों आरोपियों को घटनास्थल पर ही पकड़ा गया है। लवलेश तिवारी, सनी और अरुण मौर्य के खिलाफ विवेचना के दौरान पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं, लिहाजा आरोपियों को दंडित करें।
चार्जशीट में सिर्फ सनी, लवलेश और अरुण के नाम। क्या ये संभव है कि इतनी बड़ी वारदात में उनकी किसी ने भी कोई मदद नहीं की। न पैसे से न हथियार से।
जिगाना पिस्टल की कीमत पांच से सात लाख रुपये है। सनी ने इतने पैसे कहां से जुटाए। उसने 2021 में पिस्टल गैंगस्टर जितेंद्र गोगी से खरीदी थी। इतने पैसे उसके पास आए कहां से।
तीनों आरोपियों ने घटना से एक महीने पहले बांदा से फर्जी आधार कार्ड बनवाए। फर्जी आधार कार्ड बनवाने में उनकी किसने मदद की। फर्जी कागजात किसने तैयार किए। उसकी हत्याकांड में क्या भूमिका है। यह सब पता चलना बाकी है।
15 अप्रैल की रात सनी, लवलेश और अरुण मीडियाकर्मियों के साथ अस्पताल गेट पर खड़े थे। अतीक और अशरफ जैसे ही अंदर घुसे, लवलेश ने जिगाना पिस्टल से पहली गोली अतीक के सिर में मारी थी। अशरफ को पहली गोली सनी सिंह ने मारी। इसके बाद दोनों पर गोलियों की बौछार कर दी गई थी।
अतीक-अशरफ हत्याकांड की जांच में जुटी एसआईटी ने जांच के दौरान डेढ़ सौ से अधिक गवाहों से पूछताछ की थी। इसके अलावा अस्पताल से लेकर आरोपियों के ठहरने वाले होटल की करीब 70 सीसीटीवी फुटेज की सीडी भी अदालत को सौंपी है। एसआईटी ने प्रमुख चश्मदीद गवाहों में 21 पुलिस वाले शामिल थे, जो घटनास्थल पर ही मौजूद थे। इसके अलावा मीडियाकर्मियों, अस्पताल कर्मियों समेत जन सामान्य के तमाम लोगों से भी पूछताछ की गई थी।
सभी गवाहों के बयान और उनकी सूची चार्जशीट के साथ अदालत को सौंपी गई है। तीनों आरोपियों जिस होटल में ठहरे थे, वहां की कई रिकार्डिंग भी पुलिस के पास है। जब तीनों हत्या के लिए निकले, उस समय की फुटेज भी सौंपी गई है। अस्पताल के आस पास की दुकानों की सारी फुटेज एक सीडी में डाउनलोड कर अदालत को दी गई है।