नई दिल्ली/मेरठ :  दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पांच  साल में ही वाहनों के दबाव से जूझ रहा है, जिससे एक्सप्रेसवे की लेवल ऑफ सर्विस में गिरावट आ रही है। हाल ही में रोड सेफ्टी एजेंसी ने सर्वे में पाया कि एक्सप्रेसवे पर वाहनों का ज्यादा दबाव है और लोग लंबे समय तक जाम में फंस रहे हैं। दबाव कम करने के लिए विकल्प तलाशने की जरूरत है, ताकि एक्सप्रेसवे और नेशनल हाईवे (एनएच) की लेन से वाहन डायवर्ट कर दूसरी सड़कों पर जा सकें।

एक्सप्रेसवे और उसके बराबर में एनएच की लेन में अब यातायात सामान्य नहीं है। वाहनों का दबाव अधिक होने के कारण एक्सप्रेसवे और एनएच की लेन में ड्राइविंग के लिए निर्धारित गति सीमा में भी वाहन नहीं चल पा रहे हैं। पांच साल पहले जब एक्सप्रेसवे को यातायात के लिए खोला गया था तो बिना रुके वाहन दौड़ रहे थे। उस वक्त एक्सप्रेसवे और एनएच की लेन में यातायात सामान्य था, जिससे लेवल ऑफ सर्विस की श्रेणी बी थी, लेकिन अब वह ई तक पहुंच गई है। कुछ हिस्सों में ई श्रेणी से भी नीचे पहुंच गई है।

मानकों के हिसाब से अगर किसी मार्ग पर लेवल ऑफ श्रेणी डी तक पहुंच जाती है तो उसी समय उस मार्ग से वाहनों का दबाव कम करने के लिए अन्य विकल्पों पर काम शुरू करना होगा। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे दिल्ली और गाजियाबाद के जिस क्षेत्र में बना है।

वहां एक्सप्रेसवे का चौड़ीकरण नहीं किया जा सकता है और न ही कोई एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जा सकता है, क्योंकि एक्सप्रेसवे, एनएच और सर्विस लेन को जोड़कर यहां सड़क की कुल चौड़ाई 14 लेन की है। उसके बाद चौड़ीकरण के लिए कोई खाली जगह नहीं है। एक्सप्रेसवे के चरण में अंडरपास और फ्लाईओवर भी काफी ज्यादा बनाए गए हैं तो इस हिसाब से एलिवेटेड कॉरिडोर नहीं बनाया जा सकता।

कई जगहों पर सड़क चौड़ी करने का प्लान : जाम की स्थिति को देखते हुए कुछ जगहों पर सड़क के डिजाइन में परिवर्तन कर चौड़ीकरण का भी प्लान है। खासकर, जहां पर एनएचएआई के पास अतिरिक्त जमीन है या फिर संबंधित विभाग जमीन देने को तैयार है।

राजधानी दिल्ली में पहले चरण के अंदर करीब नौ किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे उसके बराबर में एनएच और सर्विस रोड का निर्माण किया गया है। वर्तमान में एनएच और एक्सप्रेसवे की लेन में चल रहे ट्रैफिक को जोड़ दिया जाए तो प्रतिदिन 3.59 लाख पैसेंजर पर कार यूनिट (पीसीयू) वाहनों का दबाव है। इसमें एक्सप्रेसवे की लेन में ही 1.37 लाख पीसीयू का दबाव है, जबकि एनएच की लेन 2.22 लाख वाहनों का दबाव है।

दूसरे चरण के अंदर एनएच की लेन में दबाव काफी ज्यादा है। यहां पर गाजियाबाद, मेरठ और हापुड़ की तरफ से नोएडा जाने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक होती है। इस वजह से एनएच की दोनों तरफ से लेन में 3.92 लाख वाहनों का दबाव प्रतिदिन है, जबकि यूपी गेट से डासना तक एक्सप्रेसवे की लेन में महज 48 हजार वाहनों का दबाव है। एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि क्रॉसिंग रिपब्लिक के सामने अतिरिक्त प्रवेश-निकासी प्वाइंट बनने से एक्सप्रेसवे की लेन में दबाव और बढ़ जाएगा।