बांदा. बांदा हादसे में जिंदा जली विश्वविद्यालय की महिला क्लर्क का शव पोस्टमार्टम के लिए पॉलीथिन में मांस के लोथड़े के रूप में पहुंचा। धड़ के कई हिस्से भी गायब थे। हादसे के समय तेज धमाके की आवाज सुनकर घरों से निकले प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि ऐसा खौफनाक मंजर जीवन में पहली बार देखा।
पुलिस ने आरोपी चालक को गिरफ्तार कर लिया। मृतका के ससुर की तहरीर पर उसके खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज की है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार बुधवार शाम करीब पौने सात बजे कृषि विश्वविद्यालय की क्लर्क पुष्पा सिंह (32) पत्नी स्व. रंजीत कुमार सिंह कैंपस से स्कूटी से मवई चौराहे की तरफ जा रहीं थीं।
कबरई की तरफ से आए गिट्टी लादे डंपर ने पीछे से टक्कर मार दी थी। रोड पर गिरी स्कूटी और महिला डंपर के अगले हिस्से में फंस गईं थीं। डंपर घसीटते हुए साढ़े तीन किलोमीटर तक गया। स्कूटी की टंकी फटने से लगी आग से स्कूटी और डंपर के अलावा महिला जिंदा जल गई थी।
शव पूरी तरह से जलकर मांस के लोथड़े में तब्दील हो गया था। उसे पॉलीथिन में भरकर मोर्च्युरी लाया गया। गुरुवार को डॉ. विकासदीप और डॉ. विजय शंकर केसरवानी ने वीडियोग्राफी के बीच शव का पोस्टमार्टम किया। डॉक्टरों ने बताया कि शव का डीएनए सैंपल लिया गया है, जो जांच के लिए लैब भेजा जाएगा।
शव में दोनों पैर और बायें हाथ का कुछ हिस्सा नहीं था। ससुर चंद्रेश्वर सिंह की तहरीर पर आरोपी ड्राइवर अखिलेश यादव निवासी लालगंज बस्ती के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है। पुलिस अभिरक्षा में हरदौली घाट में शव का अंतिम संस्कार किया गया। शहर कोतवाल श्याम बाबू शुक्ला ने बताया कि ड्राइवर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट हुई है।
तेज धमाके के साथ टायर फटने के बाद धूं-धूं कर डंपर जल गया था। डंपर में स्कूटी और महिला के शरीर का कुछ हिस्सा फंसा था। मवई चौराहे तक आते-आते महिला के अंग बिखरते चले गए थे। हाथ का कुछ हिस्सा उछलकर चौराहे से करीब 50 मीटर दूर जा गिरा था। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक ऐसा हादसा न कभी देखा और न कभी सुना। बहुत ही दर्दनाक हादसा था। मंजर को याद करके रूह तक कांप जाती है।
पेट्रोल पंप के पास के रहने वाले अध्यापक सुखराम वर्मा ने बताया कि वह घटना के समय जानवरों की भूसा-सानी कर रहे थे। तेज धमाके की आवाज सुनी तो बाहर आकर देखा, डंपर आग की लपटों से घिरा था। ड्राइवर कूदकर भाग रहा था। उन्होंने 112 पुलिस और फायर ब्रिगेड को भी फोन लगाया। महिला का शव पॉलीथिन में समेटा गया था।
मवई बाईपास चौराहे में पंचर की दुकान खोले शफीक निवासी मवई ने बताया कि डंपर की रफ्तार बहुत तेज थी। महिला का बैग, मोबाइल और हाथ का कुछ हिस्सा चौराहे पर बिखरता चला गया।
रामदीन का कहना है कि डंपर चालक को तेज आवाज में पुकारा, लेकिन वह रुका नहीं। महिला का शव क्षतविक्षत और कपड़े फट गए थे। स्कूटी के भी कल पुर्जे निकल गए थे। ऐसा खौफनाक मंजर देख उनकी रूह कांप गई।
मृतक महिला लिपिक पुष्पा सिंह का शव लेकर अंतिम संस्कार करने आए ससुर चंद्रेश्वर सिंह व देवर पंकज सिंह ने बताया कि वह लखनऊ स्थित गोमती नगर के विनीत खंड में आईजी जोन के पास रहते हैं। वह मूल निवासी जयप्रकाश नगर, बलिया के हैं। उनके चार पुत्र थे।
इनमें तीसरे नंबर के पुत्र रणजीत सिंह बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय में सहायक लेखाधिकारी पद पर तैनात थे। रणजीत की वर्ष 2020 में कैंसर से मौत हो गई थी। उनकी जगह पर बहू पुष्पा सिंह को अनुकंपा में यहां नौकरी मिली थी। वर्ष 2021 से वह यहां तैनात थीं। यहां वह विश्वविद्यालय कैंपस में अकेले रहतीं थी।
मृतका मूलरूप से शिवान, बिहार की रहने वाली थीं। अनुकंपा नौकरी पाने से पहले वह लखनऊ के डॉन बॉस्को टेक्निकल इंस्टिट्यूट में शिक्षिका थीं। रणजीत के दो बच्चे रणवीर सिंह (8) और आशीष सिंह (तीन साल) उनके साथ रहते हैं। वह अपनी दादी कांति सिंह के पास लखनऊ में हैं।
अन्य पुत्रों में सबसे बड़ा सुनील सिंह, उससे छोटा नवनीत सिंह और सबसे छोटा पंकज सिंह है। अब दोनों बच्चों की जिम्मेदारी उन पर है। अपर पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी निवास मिश्र ने उन्हें मृतका पुष्पा सिंह के फूल सौंप दिए। वह यहां अपनी निजी कार से आए हुए थे। दोपहर बाद यहां लखनऊ के लिए रवाना हो गए।