मेरठ। मेरठ में तेंदुए के खौफ ने जहां आमजन की नींद उड़ा रखी है, वहीं वन विभाग सिर्फ वीडियो फुटेज और पगमार्क (पंजों के निशान) तक सीमित है। हकीकत यह है कि डंडों के सहारे तेंदुए की तलाश हो रही है। पंजों के निशान से इतना तो साफ हो गया है कि उसकी उम्र चार से पांच साल है। वह तंदुरुस्त है। इसलिए वन विभाग ने शहरवासियों से सतर्क रहने की अपील की है।

बुधवार को कैंट क्षेत्र में आरवीसी सेंटर में तेंदुआ दिखाई दिया था। उसे पकड़ने के लिए तमाम प्रयास किए गए थे, लेकिन वह हाथ नहीं आया। शुक्रवार देर रात 1:28 बजे तेंदुआ मेडिकल क्षेत्र में कीर्ति पैलेस कालोनी के कैमरे में कैद हुआ। इसके बाद चंद कदमों की दूरी पर प्रधान डेरी के कैमरे में भी दिखा और फिर गुम हो गया। शनिवार सुबह पूरे शहर में तेंदुए का शोर मच चुका था। वन विभाग की टीम ने उसकी तलाश शुरू कर दी।

डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि कैंट क्षेत्र और कीर्ति पैलेस कालोनी के आसपास मिले तेंदुए के पंजों के निशान काफी हद तक समान हैं, इसलिए माना जा रहा है कि दोनों जगह दिखा तेंदुआ एक ही है। पंजों की जांच की गई तो उनका आकार पांच से सात सेमी है, जिससे उसकी उम्र चार से पांच साल प्रतीत होती है। वह तेजी से दूरी तय कर रहा है, इसलिए उसकी सेहत भी सही है। उसकी तलाश में लगातार कांबिंग की जा रही है।

कीर्ति पैलेस के मुख्य द्वार से तेंदुआ लख्मी विहार रोड होते हुए नाले के अंतिम छोर व काली नदी तक पहुंचा। कीर्ति पैलेस से यहां की दूरी लगभग डेढ़ किमी है। रास्ते में दो जगह लगे सीसीटीवी कैमरों में भी इसकी पुष्टि की गई है। डीएफओ राजेश कुमार ने स्वयं कांबिंग की कमान संभाली और पुलिस के साथ वन विभाग की टीम लेकर मौके पर पहुंचे। उन्होंने कीर्ति पैलेस से नाले के अंतिम छोर तक कांबिंग कराई। डेढ़ किमी के बाद नाला, गढ़ रोड से आ रही काली नदी में मिल गया। इस स्थान से कुछ पहले ही तेंदुआ के पग चिन्ह दिखाई पड़े। पास ही एक पेड़ पर पंजे के स्क्रैच भी दिखाई दिए। तेंदुए के काली नदी क्षेत्र से भी आगे बढ़ने की आशंका में डीएफओ ने हापुड़ वन प्रभाग की टीम को भी अभियान में शामिल किया।

तेंदुए की उपस्थिति की पुष्ट सूचना होने पर वन विभाग द्वारा प्रसारित फोन नंबरों व पुलिस को सूचित करें।
सूर्यास्त के बाद अकेले सुनसान इलाकों, घनी झाड़ियों व जंगल जैसे स्थानों पर न जाएं।
घर से बाहर जाना है तो समूह में जाएं।
टार्च साथ में रखें। संदिग्ध वन्यजीव दिखने पर उसे छेड़ें नहीं।
अफवाहों पर ध्यान न दें। दूसरों को भी अफवाह फैलाने से रोकें।

क्षेत्रीय वन अधिकारी : 7078088105
मोहन सिंह, वन दारोगा : 8218939161
गौरव कुमार, वन्यजीव रक्षक : 8279496937, 7536058243
कमलेश कुमार, वन्यजीव रक्षक : 9917313608, 9368396336

डीएफओ ने बताया कि तेंदुए की तलाश के दौरान तीन बातों का ध्यान रखा जाता है। पहली उसके पंजों के निशान। उसका पीछा करते-करते ही टीम आगे बढ़ती है। इसके बाद पेड़ और अन्य जगहों पर उसके नाखूनों को भी देखा जाता है। यह सामान्य कद-काठी के व्यक्ति की छाती की ऊंचाई के होते हैं। इसके बाद मल पर ध्यान दिया जाता है। यदि क्षेत्र में मृत जानवर मिले तो उसे भी ठीक से देखा जाता है। इससे तेंदुए के होने का पता चलता है।