वॉशिंगटन।अमेरिका का बाइडन प्रशासन अक्सर भारत को हिंद प्रशांत क्षेत्र में अहम सहयोगी होने का दावा करता रहता है। बाइडन राष्ट्रपति बनने के बाद कई बार पीएम मोदी के साथ मुलाकात कर चुके हैं। इन सबके बाद भी अमेरिका का बाइडन प्रशासन अब तक भारत में अपने पूर्णकालिक राजदूत की नियुक्ति नहीं कर सका है। इससे पहले बाइडन ने सत्ता में आने के बाद लॉस एंजेलिस के मेयर एरिक गारसेटी को भारत के राजदूत के पद के लिए नामांकित किया था लेकिन अभी तक उनकी नियुक्ति का औपचारिक ऐलान नहीं हो सका है। अब अमेरिकी सीनेट की एक बैठक अगले सप्ताह होने जा रही है जो गारसेटी को भारत का राजदूत नियुक्त करने का आखिरी मौका हो सकता है।
सीनेट के बहुमत दल के नेता चार्ल्स स्चूमेर ने मांग की है कि मेयर गारसेटी की राजदूत के रूप में नियुक्ति पर अगले सप्ताह वोट कराया जाए। अगर यह अभी नहीं हुआ तो गारसेटी का भविष्य अधर में लटक जाएगा। इससे पहले जनवरी महीने में सीनेट की विदेशी मामलों की समिति ने भारत के राजदूत पद के लिए गारसेटी के नाम को आगे बढ़ाया था। अब बाइडन की पार्टी के कई नेता ही गारसेटी का समर्थन नहीं कर रहे हैं। असल में गारसेटी और उनके पूर्व चीफ ऑफ स्टाफ पर सीनेट की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि वे मेयर के एक पूर्व शीर्ष सलाहकार के यौन अपराधों के बारे में जानते थे।
इससे गारसेटी का नामांकन अधर में लटक गया है। सीनेट की इस रिपोर्ट को रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर चुक ग्रासले ने अपनी जांच के आधार पर तैयार किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि गारसेटी की नियुक्ति में देरी की जाए। उन्होंने कहा कि गारसेटी के खिलाफ कई विश्वसनीय आरोप लगे हैं। गारसेटी के कार्यालय ने बार-बार इस बात का खंडन किया है कि मेयर ने यौन उत्पीड़न को देखा था या सुना था। इन आरोपों के बाद से गारसेटी की नियुक्ति लटकी हुई है।
इससे पहले नियुक्ति के बाद लॉस एंजिलिस के मेयर एरिक माइकल गार्सेटी ने कहा था कि भारत ‘कठिन पड़ोसियों’ के बीच स्थित है। गार्सेटी ने कहा था कि वह ‘अपनी सीमाओं और संप्रभुता की रक्षा करने तथा हमलों को रोकने की’ भारत की क्षमता को मजबूत करने के अमेरिकी प्रयासों को और आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने सांसदों से कहा था, ‘भारत कठिन पड़ोसियों के बीच स्थित है। यदि मेरे नाम की पुष्टि हो जाती है तो मैं इसकी सीमाओं और संप्रभुता की रक्षा करने तथा हमलों को रोकने की भारत की क्षमता को मजबूत करने के अमेरिकी प्रयासों को और आगे बढ़ाऊंगा।’ इतना समय बीत जाने के बाद भी गारसेटी की नियुक्ति नहीं होने पर अब अमेरिका की भारत के साथ दोस्ती पर सवाल उठ रहे हैं।