मेरठ. मेरठ की परतापुर हवाई पट्टी का विस्तार करके यहां एयरपोर्ट बनाने का रास्ता अब साफ हो गया है लेकिन एएआइ ने हाल ही में नया ड्राफ्ट मास्टर प्लान प्रदेश सरकार को सौंपकर उसके मुताबिक भूमि की मांग कर ली है। जिसके मुताबिक प्रथम चरण में एटीआर 72 श्रेणी के विमान उड़ाने के लिए उपलब्ध और आरक्षित भूमि के अतिरिक्त 300 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई होगी। इसके साथ ही दूसरे चरण के लिए भी 200 एकड़ अतिरिक्त भूमि आरक्षित करनी होगी। ताकि भविष्य की आवश्यक्ता को पूरा करके यहां से बड़े विमानों को भी उड़ाया जा सके। एएआइ की प्रोजेक्ट रिपोर्ट के आधार पर अब शासन ने जिला प्रशासन से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है।
शासन ने पूछा है कि क्या एयरपोर्ट के विकास के लिए उक्त भूमि उपलब्ध कराई जा सकती है? यदि भूमि उपलब्ध कराई जा सकती है तो उसके क्रय अथवा अधिग्रहण में होने वाले व्यय की गाटावार जानकारी उपलब्ध कराई जाए। शासन के इस आदेश के मिलने के बाद से ही जिला प्रशासन के अधिकारी तहसील की टीम के साथ मौके पर जमीन की तलाश में जुटे हैं।
एएआइ की कार्यकारी निदेशक द्वारा प्रदेश सरकार को अवगत कराया गया है कि राज्य सरकार और एएआइ के बीच हुए अनुबंध के मुताबिक मेरठ एयरपोर्ट का विकास एएआइ को करना है लेकिन इसमें दिल्ली एयरपोर्ट 150 किमी की परिधि बाधा बन रही थी। दिल्ली एयरपोर्ट का संचालन करने वाली एजेंसी डायल से हुए सरकार के अनुबंध के मुुताबिक डायल के पास राइट आफ फस्र्ट रिफ्यूजल का अधिकार था। एएआइ ने बताया है कि सोलिसीटर जनरल द्वारा हाल ही में इस संबंध में आदेश जाराी किया गया है कि डायल एजेंसी ने नोएडा एयरपोर्ट की बिडिंग में भाग लेकर अपने उक्त अधिकार का प्रयोग कर लिया है। अब राज्य सरकार और एएआइ द्वारा मिलकर मेरठ एयरपोर्ट का विकास करने में कोई बाधा नहीं है।
हालात बदलते ही एएआइ की टीम ने 17 दिसंबर 2021 को हवाई पट्टïी का निरीक्षण किया और ड्राफ्ट प्रोजेक्ट तैयार करके सरकार से जमीन मांग ली। जिसके मुताबिक मौजूदा एयरपोर्ट की 44.45 एकड़ भूमि के अतिरिक्त 96.14 एकड़ भूमि पहले ही इसके लिए आरक्षित की जा चुकी है। प्रथम चरण में एटीआर 72 प्रकार के विमानों की उड़ान के लिए उपलब्ध भूमि के अलावा 300 एकड़ भूमि उपलब्ध करानी होगी। जबकि द्वितीय चरण में बड़े विमान उड़ाने के लिए 200 एकड़ अतिरिक्त भूमि अभी आरक्षित करनी होगी।
अब एयरपोर्ट के लिए भूमि उपलब्ध करानी है। प्रदेश सरकार ने दोनों चरणों के लिए 500 एकड़ अतिरिक्त जमीन की उपलब्धता को लेकर जानकारी मांगी है। साथ ही इसके क्रय के लिए आवश्यक राशि का अनुमान भी। जिसे तैयार कराया जा रहा है। जल्द शासन को उपलब्ध करा दिया जाएगा।
हेलीकाप्टर संचालन के दौरान उसे उड़ाने और उतारने के लिए संबंधित स्थानों के जिला प्रशासन द्वारा क्लीयरेंस प्रदान की जाती है। लेकिन हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए नए दिशा निर्देश के मुताबिक अब हेलीकाप्टार को क्लीयरेंस केवल हेलीसेवा पोर्टल से ही मिल सकेगा। संबंधित एजेंसी को इसी पोर्टल पर आवेदन करना होगा और जिला प्रशासन को भी इसी पोर्टल का प्रयोग करके उसे क्लीयरेंस दिया जाना अनिवार्य होगा। केंद्र सरकार के आदेश पर प्रदेश सरकार के नागरिक उड्डयन अनुभाग के विशेष सचिव कुमार हर्ष द्वारा प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को उक्त आदेश का सख्ती से पालन कराने का निर्देश दिया गया है। उक्त आदेश मेरठ पहुंच गया है। मेरठ में भी लगातार हेलीकाप्टर के माध्यम से प्रमुख लोगों का आवागमन लगा रहता है। जिला प्रशासन ने उक्त पोर्टल पर अपने पंजीकरण के लिए काम शुरू कर दिया है।