लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजनीति में आज का दिन सबसे बड़ा है। सूबे में पहली बार ऐसा हो रहा है, जब भारतीय जनता पार्टी लगातार अपनी दूसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भाजपा ने उत्तर प्रदेश के नया इतिहास बनाया है। ऐसे में एक बार फिर योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के तौर पर कुर्सी संभालने जा रहे हैं। बीजेपी उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बना रही है, तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी कड़ी टक्कर के बाद बड़ी पार्टी साबित हुई है, लेकिन यूपी जीतकर भी भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है, अखिलेश यादव हार कर भी चुनाव जीते है, जानिए कैसे?

जीत में भी बीजेपी को बड़ा ‘नुकसान’

उत्तर प्रदेश में 250 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी आगे चल रही है। गोरखरपुर शहर से योगी आदित्यनाथ ने 1 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से बड़ी जीत दर्ज की है। सूबे में बीजेपी कार्यकर्ता जश्न में डूबे हैं। लेकिन इस जीत में भी बीजेपी को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है और हार भी समाजवादी पार्टी को फायदा पहुंच रही है, क्योंकि सपा 130 सीटों पर आगे चल रही है। चुनाव चाहे बीजेपी जीत रही हो, लेकिन पिछले 2017 के चुनावों के मद्देनजर बीजेपी को सीटों के मामलों में घाटा हुआ है, जबकि सपा को फायदा मिला है।

मजबूत विपक्ष के तौर पर सपा

साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों दलों ने कुल 403 सीटों में से 325 सीटों पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने 384 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें उसे 312 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन इस बार वो करिश्मा होता नजर नहीं आ रहा, क्योंकि 2017 में 47 सीटों पर सिमटी सपा ने इस बार अपना आंकड़ा बदला है और मजबूत विपक्ष के तौर पर खुद को यूपी में साबित किया है। ऐसे में साफ हो गया कि यूपी में में योगी आदित्यानाथ की जीत हुई है, लेकिन अखिलेश की हार नहीं हुई।

BJP को लगभग 50 सीटें का नुकसान, सपा को 75 सीटों का फायदा

भाजपा को लगभग 50 सीटें का नुकसान हो रहा है, जबकि सपा की लगभग 75 सीटों का फायदा। ऐसे में यह साफ हो गया कि चार मुख्य पार्टी में बंटे यूपी में इस बार दो दलों की टक्कर साबित हुई है। यानी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए इस बार स्वस्थ बैलेंस स्थापित हुआ है, एक तरफ स्पष्ट बहुमत की सरकार और दूसरी तरफ मजबूत विपक्ष।

वोट प्रतिशत भी सपा का बढ़ा, लेकिन जीत नहीं

बीते चुनावों की बात करें तो 2017 में यूपी में भाजपा ने 40 फीसदी वोट हासिल करके सरकार बनाई थी, समाजवादी पार्टी को 22 फीसदी वोट मिले थे। 2012 में यह वोट प्रतिशत सपा के हक में था, उस दौरान सपा को 29.02 फीसदी वोट मिला था, जबकि भाजपा को 15 फीसदी मत मिला था। वहीं इस बार 2022 में बीजेपी के वोट शेयर करीब पिछले चुनाव जितना 41.84 फीसदी है। हालांकि सीटें घटती दिखाई रही हैं, जबकि निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार 2022 के चुनाव में सपा का वोट शेयर 31.9 फीसदी रहा है। मतलब दोनों चुनाव के मुकाबले ज्‍यादा वोट मिले। लेकिन सरकार नहीं बना पाई।