नई दिल्ली. आगामी विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा दोतरफा रणनीति पर काम कर रही है। इसमें भाजपा की सबसे अहम रणनीति अपने संगठन को मजबूत करना है और साथ ही अपने विरोधियों को कमजोर करना है। इसी रणनीति के तहत भाजपा पार्टी के विस्तार में व्यस्त है। यहीं नहीं, भाजपा मोदी सरकार की उपलब्धियों से लोगों को अवगत कराने के लिए हर मौके और मंच का इस्तेमाल कर अपना आधार बढ़ाने में लगी हुई है।
दरअसल, मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने पर पार्टी ने 30 मई से 14 जून तक कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है। जिनमें एक विशेष अभियान ‘सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण’ (गरीबों की सेवा, सुशासन और कल्याण) चलाएगी। इसके तहत मोदी सरकार ने अपने मंत्रियों से गांवों में जाकर सीधे लोगों से संवाद करने को कहा है। इसी के चलते 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के मौके पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने देश भर में 75,000 स्थानों पर योग शिविर आयोजित करने का फैसला किया है। साथ ही डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके बालदान दिवस पर श्रद्धांजलि देने के लिए भाजपा कार्यकर्ता 23 जून से 6 जुलाई तक देश भर में पेड़ लगाएंगे।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ अभियान के तहत बीजेपी सांसद पहले से ही अपने-अपने इलाकों में 75 तालाब बनाने में जुटे हैं और अन्य सामाजिक कार्य भी कर रहे हैं। भाजपा की रणनीति समाज के सभी वर्गों तक पहुंचना और उनसे सीधा संपर्क स्थापित करना है। आगामी चुनाव को देखते हुए भाजपा वास्तव में बूथ स्तर पर काम कर रही है। भाजपा ने सभी प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक 10 जून, सभी जिला कार्यकारिणी की बैठक 20 जून और सभी मंडल कार्यकारिणी की बैठक 30 जून तक करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा तीन दिवसीय प्रशिक्षण को पूरा करने का भी लक्ष्य रखा गया है।
भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए अपने ‘कमजोर’ बूथों को मजबूत करने की खास रणनीति पर भी काम कर रही है। ऐसे कुल 73,000 बूथों की पहचान की गई है। इन बूथों पर पार्टी का प्रभाव बढ़ाने के लिए अप्रैल में चार वरिष्ठ नेताओं का पैनल बनाया गया था। सबसे कमजोर बूथ दक्षिणी और पूर्वी राज्यों में हैं। इस सूची में अल्पसंख्यक समुदाय के बहुल बूथ शामिल हैं, जहां भाजपा अन्य दलों की तुलना में कमजोर है। वहीं बीजेपी अपने विरोधियों को भी कमजोर करने पर फोकस कर रही है। इस रणनीति के तहत भाजपा उन विपक्षी नेताओं को निशाना बनाएगी, जो अपने क्षेत्रों में लोकप्रिय और प्रभावशाली हैं, लेकिन अपने मूल दलों से नाराज हैं।
बता दें कि भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस नेता माणिक साहा को त्रिपुरा का मुख्यमंत्री बनाया गया है। पार्टी ने संकेत दिया है कि यह एक ऐसे नेता को सम्मान देने में विश्वास करती है, जो सक्षम और लोकप्रिय है और उन्हें उसी के अनुसार पुरस्कृत किया जाता है। भाजपा ने हाल ही में सुनील जाखड़ को पार्टी में शामिल किया है, क्योंकि वह कांग्रेस नेता राहुल गांधी से नाराज थे। गुजरात में हाल ही में कांग्रेस छोड़ने वाले पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हैं। सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में भी बीजेपी की नजर कांग्रेस से नाराज कई असंतुष्ट नेताओं पर है। हालांकि, बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने आइएएनएस से कहा कि कई क्षेत्रीय और परिवार-आधारित पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र अब मौजूद नहीं है। इसलिए अच्छे नेता, वहां की व्यवस्था से नाखुश हैं और विकल्प तलाश रहे हैं।
पार्टी ने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि सभी विपक्षी नेता भाजपा में शामिल हों या भाजपा उन सभी को अपने पाले में शामिल कर ले। उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बीच दरार के बाद शिवपाल यादव के आज़म खान को लुभाने के बाद और कमजोर होने की संभावना है। यह भाजपा के लिए जीत की स्थिति है।