नई दिल्ली. राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल करने की कोशिश में भाजपा की नजर गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों के समर्थन पर टिकी हुई है. आगामी राष्ट्रपति चुनाव यह दिखाएगा कि विपक्षी एकता कितनी मजबूत है और 2024 के आम चुनावों से पहले कैसे एक गठबंधन बनाया जा सकता है.
बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए लगभग 10.86 लाख वोटों के एक निर्वाचक मंडल में, NDA में भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगी उम्मीदवार की जीत के लिए जरूरी आधे वोटों से थोड़ा पीछे हैं. ऐसे में आसानी से आधा बहुमत पाने के लिए, भाजपा नवीन पटनायक की बीजू जनता दल (BJD) और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) पर निर्भर है.
गौरतलब है कि YSRCP के पास 40,000 से ज्यादा वोट हैं जबकि BJD के पास 30,000 से ज्यादा वोट हैं. BJD या YSRCP के समर्थन से, भाजपा उम्मीदवार आराम से चुनाव जीत सकते हैं, लेकिन भगवा खेमा अन्य छोटे और गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों के समर्थन से अपने वोट बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
अन्य दलों का समर्थन हासिल करने के लिए आम सहमति पर पहुंचने के लिए भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अधिकृत किया है. नड्डा और राजनाथ सिंह एनडीए के सहयोगियों, यूपीए के घटक दलों और यहां तक कि निर्दलीय सांसदों सहित अन्य के साथ विचार-विमर्श करेंगे. सूत्रों ने कहा कि नड्डा और राजनाथ सिंह की सलाह राष्ट्रपति पद के लिए प्रस्तावित भाजपा नीत राजग उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने पर केंद्रित होगी.
भाजपा के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि देश भर में कई छोटे गैर-कांग्रेसी विपक्षी दल हैं, जिनसे संपर्क किया जाता है, तो वे भाजपा उम्मीदवार को वोट देंगे. उन्होंने कहा, ‘कई दल हैं, जो कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहे हैं. हम अगले महीने होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी जीत का अंतर बढ़ाने के लिए उनका समर्थन हासिल करने की कोशिश करेंगे.’
यह पता चला है कि गैर-कांग्रेसी विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त करने के लिए जरूरत के अनुसार अधिक भाजपा नेता परामर्श प्रक्रिया में शामिल होंगे. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पूरे प्रयास का एकमात्र उद्देश्य पिछली बार की तुलना में बड़ा जीत अंतर सुनिश्चित करना है. आपको बताते चलें कि राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होगा और वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी. नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 29 जून है.