उत्तर प्रदेश के मेरठ में जहां अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है, वहीं मेरठ में एक ऐसा भी गांव है, जहां अपराध का नामोनिशान तक नहीं है। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा, लेकिन यह सच है। दौराला थाना क्षेत्र के पीरपुर गांव का मजरा बहादरगढ़ सभी के लिए मिसाल है। आजादी के बाद से गांव में कोई अपराध नहीं हुआ, सिवाय 2015 में भैंस चोरी की एक घटना को छोड़कर। वहीं गांव के 30 से ज्यादा युवा फौज या पुलिस विभाग में तैनात हैं।
गांव में शिक्षा का स्तर अच्छा होने से ग्रामीण खुशहाल हैं। कोरोना टीकाकरण में भी गांव सबसे आगे है। 99 फीसदी ग्रामीण वैक्सीन लगवा चुके हैं।पीरपुर ग्राम पंचायत के तहत आने वाला बहादरगढ़ गांव 70 साल पहले बसा था। मुजफ्फरनगर की खतौली तहसील के टिटौड़ा गांव के रहने वाले बहादर का सन् 1800 में जन्म हुआ था। बहादर की उस समय मेरठ बॉर्डर पर कृषि भूमि थी। उनके पोते शेर सिंह, सुमेर सिंह, श्यामल सिंह ने बहादरगढ़ में खेती का काम संभाला। धीरे-धीरे परिवार के अन्य सदस्य भी आकर बस गए।
वर्तमान में 60 से ज्यादा परिवार हैं। आबादी 700-750 के बीच है। 400 से अधिक मतदाता हैं। गांव के सुरेश 1994 और डॉ. यशपाल 2000 में प्रधान रह चुके हैं। कई बुजुर्ग सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हैं। उनके बच्चे भी आर्मी, बीएसएफ, पुलिस और शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं।
सेवानिवृत्त कैप्टन सुरेंद्र सिंह ने बताया कि गांव निवासी आनंद लंदन में चिकित्सक हैं। अजय आस्ट्रेलिया में इंजीनियर हैं। कर्मवीर आर्मी में कर्नल हैं। उनके बेटे मेजर आदित्य शौर्य चक्र से सम्मानित हो चुके हैं। गांव में कई परिवार कृषि पर निर्भर हैं। इनके पास करीब 800 बीघा जमीन है।
बुजुर्ग रामपाल और श्याम सिंह, राजेंद्र सिंह, रामरिख सिंह, सेवाराम बताते हैं कि साल 2015 में गांव में एक भैंस चोरी हुई थी। ग्रामीण दौराला थाने में तहरीर देने पहुंचे थे। उस दौरान पुलिस ने रजिस्टर खंगाले तो गांव में किसी आपराधिक घटना का रिकॉर्ड नहीं मिला।