एमएसपी पर बने कानून: रालोद क्षेत्रीय अध्यक्ष, मेरठ
हस्तिनापुर क्षेत्र से रालोद के क्षेत्रीय अध्यक्ष चौधरी यशवीर सिंह ने कहा कि कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा किसानों के अहिंसक आंदोलन के कारण इस हिटलर शाही सरकार को अपना फैसला वापस लेने के लिए बाध्य होना पड़ा है। मेरा प्रधानमंत्री जी से यह भी अनुरोध है कि जिन किसानों ने सरकार की किसान विरोधी कानूनों को वापस कराने के लिए आंदोलन के दौरान अपना बलिदान दिया है, उन किसानों के परिवारों से माफी मांगनी चाहिए और उन किसानों के परिवारों को कम से कम एक करोड़ का मुआवजा व परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा करनी चाहिए। प्रधानमंत्री जी को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तुरंत कानून बनाना चाहिए। किसानों व मजदूरों के बढ़ते बिजली के बिलों, गन्ने के बकाया भुगतान व गन्ने के रेट में वृद्धि के बारे में भी तुरंत घोषणा करनी चाहिए।
आगामी चुनाव में हार के डर से लिया फैसला : सपा जिलाध्यक्ष, मेरठ
सपा के मेरठ जिलाध्यक्ष राजपाल सिंह ने कहा कि साल 2022 में उत्तर प्रदेश सहित चार विधानसभाओं के होने वाले चुनाव में हार के डर से प्रधानमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। किसानों का करीब एक वर्ष का आंदोलन एवं 700 से अधिक किसानों की मौतों ने केंद्र और राज्य सरकार की नींद उड़ा रखी है। भाजपा ने घबराहट में कृषि कानूनों को वापस लिया है। इसके लिए आंदोलनकारी किसानों को बधाई, जिन्होंने अपने सत्याग्रह से केंद्रीय सरकार को झुका दिया। यह कानून वापसी की घोषणा आंदोलन में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि है।
संघर्ष जारी रहेगा: उत्तर प्रदेश जय किसान आंदोलन
उत्तर प्रदेश जय किसान आंदोलन के अध्यक्ष पुष्पेंद्र कुमार ने कहा कि 700 किसानों की मौत और एक साल का संघर्ष के बाद भी मोदी सरकार चालाकी और राजनीति कर के आंदोलनकारियों किसानो को उनका हक नहीं देना चाहती। संघर्ष जारी रहेगा।
उत्तर प्रदेश जय किसान आंदोलन के प्रवक्ता मनीष भारती ने कहा कि आज प्रधानमंत्री द्वारा तीनो काले कृषि क़ानूनों को वापस लेने की घोषणा एक स्वागतयोग्य कदम है और जय किसान आंदोलन इसका स्वागत करता है। ये लोकतंत्र की जीत है, सच्चाई की जीत है।
देश के किसान अपनी मांगों को लेकर पिछले एक साल से देश की राजधानी में सड़कों पर संघर्ष कर रहे हैं और पूरे देश में आंदोलनरत हैं। जय किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा ने जो फैसला लिया है उसके साथ है कि संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक तीनों काले कृषि कानून रद्द होने के साथ-साथ एमएसपी को कानूनी जामा नहीं पहनाया जाता और बिजली बिल को विधिवत रूप से वापिस नहीं लिया जाता। जय किसान आंदोलन लगातार ज़मीन पर संघर्ष करता रहा है और आगे भी करता रहेगा। लड़ेंगे, जीतेंगे के सिद्धांत पर जय किसान आंदोलन किसानों की आवाज बुलंद करता रहेगा।