टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एस्परगिलस लेंटुलस दरअसल, एस्परगिलस फंगस की ही एक प्रजाति है जो फेफड़ों को संक्रमित करता है। फंगस के बाकी स्ट्रेन की तुलना में इसमें मृत्यू दर काफी अधिक होती है क्योंकि यह फेफड़ों को संक्रमण करता है। विदेश के देशों में इस तरह के मामले सामने आए हैं, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि भारत में इस नए स्ट्रेन की यह पहली घटना हो सकती है। फंगस के इस नए स्ट्रेन को पहली बार साल 2005 में चिकित्सा साहित्य में जिक्र किया गया था।
पहले मरीज की 50 से 60 साल थी उम्र
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी (IJMM) में छपी केस रिपोर्ट के अनुसार जिन दो मरीजों में फंगस के इस नए स्ट्रेन का पता चला है उसमें एक की उम्र 50 से 60 साल थी, जबकि दूसरी मरीज की उम्र 45 साल से कम थी। पहले वाले मरीज का शुरुआती इलाज किसी प्राइवेट अस्पताल में हो रहा था, लेकिन जब कोई सुधार नहीं हुआ तो वहां से एम्स के लिए रेफर कर दिया गया था।
इंजेक्शन का भी नहीं हुआ कोई असर
मरीज को B और ओरल इंजेक्शंस दिए गए, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। इंजेक्शन देने के बाद भी लगभग एक महीने तक मरीज की सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ और अंत में मौत हो गई। वहीं, दूसरे मरीज को बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत के बाद एम्स के इमरजेंसी में लाया गया था। इस मरीज को Amphotericin B इंजेक्शन दिया गया लेकिन पहले की तरह इसके ऊपर भी कोई असर नहीं हुआ। लगभग एक हफ्ते बाद शरीर के कई अंग काम करने बंद कर दिए और मरीज की मौत हो गई।
बड़ी संख्या में सामने आए थे ब्लैक फंगस के केस
हाल ही में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान देशभर में बड़ी संख्या में ब्लैक फंगस के मामला सामने आए थे। ब्लैक फंगस के मामले सबसे ज्यादा उन मरीजों में सामने आए थे जो पहले से डायबिटीज के मरीज रहे और कोविड-19 से ठीक होने के बाद इस बीमारी से संक्रमित हो गए। समय पर इलाज मिल जाने की वजह से अधिकतर मरीज ठीक भी हो गए, जबकि कुछ की हालत काफी गंभीर हो गई थी।
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