नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने बुधवार को घरेलू कच्चे तेल क्षेत्र को नियंत्रण से मुक्त कर दिया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में हुई आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमिटी की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूर दे दी गई. अब देश में कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियां अपनी मर्जी से खुले बाजार में किसी को भी तेल बेच पाएंगी.

इससे ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और निजी तेल उत्पादक कंपनियों को काफी फायदा होगा. नई नीति 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगी. फिलहाल तेल उत्पादक कंपनियां सरकार द्वारा किए गए आवंटन के तहत ही तेल बेचती हैं.

इस फैसले के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा है कि नई व्यवस्था लागू होने से देश में कच्चे तेल का उत्पादन बढे़गा. उन्होंने कहा कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 फीसदी तेल बाहर से आयात करता है. इस फैसले से सरकार की आयातित कच्चे तेल पर निर्भरता घटेगी. उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को डीरेगुलेट किए जाने से घरेलू व विदेशी कंपनियों की यहां तेल उत्पादन में दिलचस्पी बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि इससे कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों के रेवेन्यु में कोई कमी नहीं आएगी.

इस खबर के सुगबुगाहट के कारण ओएनजीसी और ऑयल इंडिया के शेयरों में आज तेजी देखने को मिली. ओएनजीसी के शेयर जहां करीब 3 फीसदी बढ़कर 153 रुपये पर बंद हुए वहीं ऑयल इंडिया के शेयरों में 4.50 फीसदी की तेजी देखने को मिली. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस फैसले से इन दोनों कंपनियों को काफी लाभ मिलेगा.

भारत के घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन में 2014-15 से लगातार गिरावट देखी जा रही है, जबकि पिछले कुछ वर्षों में कच्चे तेल की मांग में वृद्धि हुई है. वित्त वर्ष 2021-22 में, देश ने केवल 28.4 मिलियन टन (एमटी) कच्चे तेल का उत्पादन जो कि लगभग 3 दशकों में सबसे कम उत्पादन है. गौरतलब है कि पुराने होते ऑयल फील्ड इस गिरावट का सबसे बड़ा कारण हैं. नई तकनीकों में निवेश कर किसी तरह प्रोडक्शन को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. मांग बढ़ने और उत्पादन घटने के कारण ही भारत की निर्भरता आयातित कच्चे तेल पर बढ़ती जा रही है.