लखनऊ. कानपुर में बाबा के आश्रम से तमाम रहस्य बेपर्दा हो चुके हैं. बाबा अपने लखीमपुरी स्थित ठिकाने पर लगभग 3 से 4 बार आ चुका है. आखिरी बार 2019 में बाबा यहां आया था, जब उसने 15 दिन यहीं डेरा डाला था. बाबा के रहस्यलोक को बेपर्दा करने पहली बार आजतक की टीम बाबा के मायावी लोक में दाखिल हुई.

बाबा के ठिकाने के ठीक बाहर बड़ा से नीले रंग का गेट लगा हुआ है. अंदर आते ही चारों ओर किसानी खेती की जमीन और हरे-भरे बड़े-बड़े बागीचे और इन सब के बीच बना बड़ा आलीशान आश्रम नुमा रिजॉर्ट जैसी इमारत नजर आती है. इमारत की ओर आगे बढ़ने पर दो कमरे नजर आते हैं जो बंद हैं जिनमें पंखे लगे हुए हैं और ठीक कानपुर आश्रम जैसी डिजाइन भी दीवारों पर बनी हुई है.

थोड़ा और आगे बढ़ने पर बाबा के रहस्यलोक में बड़ी सी पार्किंग बनी है, जहां दो महंगी और आलीशान गाड़ियां खड़ी हैं. पार्किंग में तमाम गद्दे रखे हुए हैं और बाबा की बड़ी-बड़ी तस्वीरें भी रखी हुई हैं जिनमें बाबा के कहे हुए मंत्र लिखे हुए हैं. इसके अलावा पार्किंग के ऊपर भी बाबा के मंत्र लिखे हुए हैं.

आगे बढ़ने पर एक किचन दिखाई पड़ता है, अंदर जाने पर चूल्हा इत्यादि बर्तन रखे हुए हैं. बाबा जब सत्संग के दौरान यहां ठहरता है तो यहीं सब खाना बनता है. यहां पर एक हैंडपंप भी बना है जिसके पानी को अमृत बताया जाता है. इसके अलावा किचन से सटे एक गुफा नुमा छोटे से कमरे में बाबा के 2019 के सत्संग का पोस्टर लगा है जिसमें उसके मिलने का समय आदि लिखा हुआ है.

बाबा के ठिकाने में एक ओर उस कमरे में बड़े-बड़े गेहूं के कंटेनर हैं तो ठीक सामने बाबा की तस्वीर रखी है. करीब जाने पर बाबा सूरजपाल की लिखी हुई एक आरती चालीसा नजर आती है. यह आरती हनुमान चालीसा के ढंग से लिखी गई है और बीच में बाबा की तस्वीर बनी हुई है. मौजूद लोग कहते हैं कि भक्त इस आरती का पाठ करते हैं ताकि बाबा की कृपा बनी रहे. यहां मौजूद लोगों का दावा है कि बाबा जब यहां आते हैं तो यहीं विश्राम करते हैं.

बाबा के इसी ठिकाने के एक और खुफिया कमरे में सत्संग से जुड़ा तमाम सामान रखा हुआ है. बाबा के अनुयाई बताते हैं कि बाबा जब आते हैं तो इन सब का इस्तेमाल होता है. यहां किसी सिंहासन की तरह बड़े-बड़े सोने के मकबरे बने हुए हैं. औरतों की शक्ल में दो मूर्तियां बनी हुई हैं जो किसी का स्वागत करने की मुद्रा में हैं.

बाबा के ठिकाने के लॉन में एक झूले के रूप में ऊपर लकड़ियां लगी हुई हैं. यही वो जगह है जहां बाबा सूरजपाल आकर बैठते हैं और खुले खेत का मजा लेते हैं. हालांकि यह बाबा का आश्रम नहीं है, निजी प्रॉपर्टी है जहां बाबा अक्सर आता है, ठहरता है.

इस प्रॉपर्टी के मालिक गोविंद जी पुरवार और उनके परिवारजन जय प्रकाश कहते हैं कि बाबा यहां 3 से 4 दफा आ चुके हैं. 2019 में जब बाबा यहां आए थे तो 15 दिन रुके थे. ये दोनों ही बाबा को भगवान मानते हैं और चैलेंज करते हैं कि बाबा के एक सत्संग में बैठने से बाबा के लिए आपके विचार बदल जाएंगे.