नई दिल्ली. कांग्रेस में अंदरूनी कलह खत्म नहीं हो रही है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के लिए सभी को साध पाना काफी मुश्किल होरहा है। पहले चुनाव विशेषज्ञ प्रशांत किशोर से बात नहीं बन पाई। दूसरी ओर पूर्व सांसद कपिल सिब्बल और हार्दिक पटेल ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। सूत्रों के मुताबिक इन दिनों नाराज चल रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को सोनिया गांधी ने मनाने का प्रयास किया और उन्हें कांग्रेस में दूसरे नंबर पर काम करने का ऑफर दिया, लेकिन गुलाम नबी आजाद ने साफ मना कर दिया।
गुलाम नबी ने इंदिरा गांधी के साथ शुरू की थी सियासी पारी
गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद ने अपनी राजनीतिक पारी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के साथ शुरू की थी। काफी वरिष्ठ नेता होने के बाद भी गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस पार्टी ने राज्यसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है, हालांकि राज्यसभा के लिए उम्मीदवार घोषित करने से पहले सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की थी और इस दौरान सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आजाद से कांग्रेस पार्टी की भविष्य की योजनाओं को लेकर लंबी चर्चा की थी। ऐसी खबर है कि इस बैठक के दौरान ही गुलाम नबी आजाद से सोनिया गांधी ने पूछा था कि क्या वह संगठन में दूसरे नंबर पर काम करने में सहज महसूस करेंगे, लेकिन आजाद ने इसे खारिज कर दिया था।
गुलाम नबी आजाद ने इसलिए किया इनकार
दरअसल कांग्रेस संगठन में दूसरे नंबर पर काम करने से गुलाम नबी आजाद ने इसलिए इनकार किया क्योंकि उनका मानना है कि आज पार्टी चलाने वाले युवाओं और हमारे बीच जेनरेशन गैप है। पार्टी को इस गैप को खत्म करने के लिए युवा नेतृत्व को सामने लाना चाहिए।
कुछ दिनों बीमार है गुलाम नबी आजाद
आपको बता दें कि गुलाम नबी आजाद बीते कुछ दिनों से बीमार हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था। इसी बीच कांग्रेस पार्टी ने अल्पसंख्यक शाखा के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा भेजने का फैसला किया। इमरान को राज्यसभा भेजने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इमरान ‘युवा’ और ‘अल्पसंख्यक’ दोनों हैं, इसलिए वह कांग्रेस में रहकर लक्ष्य को निशाना बना सकते हैं।
ऐसे में कांग्रेस अल्पसंख्यकों को टिकट नहीं दे सकी, इसलिए सोनिया गांधी ने आजाद को संगठन में शामिल होने के लिए कहा। पिछले कुछ दिनों से गुलाम नबी आजाद पार्टी के कामों में ज्यादा दिलचस्पी भी नहीं ले रहे हैं। उदयपुर में आयोजित चिंतन शिविर में आजाद ने समिति की बैठकों में बहुत कम बात की।