नई दिल्ली: दुनियाभर के देश विदेशों में जमा अपने सोने के भंडार को वापस मंगा रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर पाबंदी लगा दी थी। इससे रूस के 640 अरब डॉलर के गोल्ड और फॉरेक्स रिजर्व में से करीब आधी एसेट्स फ्रीज हो गई थी। इस तरह की स्थिति से बचने के लिए दुनियाभर के देश अपना सोना वापस ला रहे हैं। Invesco के एक सर्वे में यह बात सामने आई है। यह सर्वेgसेंट्रल बैंक्स और सॉवरेन वेल्थ फंड्स के बीच कराया गया था। पिछले साल फाइनेंशियल मार्केट में भारी गिरावट से सॉवरेन मनी मैनेजर्स को भारी नुकसान हुआ था। उनका कहना है कि महंगाई और जियोपॉलिटिकल तनावों के लंबे समय तक बने रहने की आशंका है। इसे देखते हुए वे अपनी रणनीति को बदलने की सोच रहे हैं।
85 सॉवरेन वेल्थ फंड्स और 57 सेंट्रल बैंक्स ने हिस्सा लिया। इनमें से 85 फीसदी का मानना है कि आगे वाले दशक में महंगाई पिछले दशक के मुकाबले ज्यादा होगी। ऐसी स्थिति में गोल्ड और एमर्जिंग मार्केट बॉन्ड्स में निवेश को अच्छा माना जाता है। लेकिन पिछले साल रूस के साथ जो कुछ हुआ, उससे दुनियाभर के देशों को गोल्ड के बारे में अपनी रणनीति बदलनी पड़ी है। सर्वे के मुताबिक अधिक सेंट्रल बैंक इससे चिंतित हैं। 68 परसेंट ने कहा कि वे गोल्ड रिजर्व को अपने देश में ही रख रहे हैं जबकि 2020 में ऐसा करने वालों की संख्या 50 परसेंट थी।
एक सेंट्रल बैंक ने कहा कि हम पहले सोने को लंदन में रखते थे लेकिन अब हमने इसे अपने देश में ट्रांसफर कर दिया है। इनवेस्को के हेड ऑफ इंस्टीट्यूशंस Rod Ringrow ने कहा कि अब सेंट्रल बैंक कह रहे हैं कि जब यह मेरा सोना है तो मेरे देश में ही रहना चाहिए। जियोपॉलिटिकल कारणों के साथ-साथ एमर्जिंग मार्केट्स में मिल रहे मौकों ने कुछ सेंट्रल बैंकों ने डॉलर के इतर डाइवरसिफाई करने के लिए उत्साहित किया है। सर्वे में शामिल सात परसेंट एसेंजियों ने कहा कि अमेरिका का बढ़ता कर्ज डॉलर के लिए निगेटिव संकेत है। हालांकि अधिकांश मानते हैं कि रिजर्व करेंसी के रूप में इसका कोई विकल्प नहीं है। केवल 18 परसेंट मानते हैं चीन की करेंसी युआन इसे टक्कर दे सकती है। पिछले साल ऐसा मानने वालों की संख्या 29 परसेंट थी।
142 इंस्टीट्यूशंस में से करीब 80 परसेंट अगले दशक में जियोपॉलिटिकल तनावों को सबसे बड़ा खतरा मानते हैं जबकि 83 परसेंट महंगाई को अगले एक साल में सबसे बड़ा खतरा मानते हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर को सबसे आकर्षक एसेट क्लास माना जाता है। खासकर रिन्यूएबल एनर्जी जेनरेशन से जुड़े प्रोजेक्ट्स की सबसे ज्यादा डिमांड है। चीन को लेकर दुनियाभर के देशों में चिंता है। इस कारण लगातार दूसरे साल भारत इनवेस्टमेंट के लिए सबसे आकर्षक देश बना हुआ है। चीन के साथ-साथ ब्रिटेन और इटली का भी आकर्षण कम हो गया है।