पीलीभीत : वैसे तो पीलीभीत जिला तराई का माना जाता है. यहां पेयजल की कोई खास किल्लत तो नहीं है. लेकिन बीते कुछ सालों में यहां का जलस्तर तेजी से घट रहा है. ऐसे में जिले के तमाम इलाकों में लोगों को अशुद्ध पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है. वहीं इस पानी के सेवन से लोगों को तमाम स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याएं हो रही हैं.
दरअसल, पीलीभीत जिला हिमालय के शिवालिक की तलहटी में बसा है. यहां प्रमुख रूप से शारदा समेत दर्जनों छोटी-बड़ी नदियां बहती हैं. ऐसे में पानी के लिहाज से तो पीलीभीत जिले को प्रकृति ने भरपूर नवाजा है. लेकिन यहां के निवासियों को प्रकृति के इस उपहार की खास कद्र नहीं है. शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक हर कोई जल दोहन में जुटा हुआ है. आलम यह है कि बीते कुछ सालों में जिले में भूगर्भ जलस्तर इतना घट गया है कि अब अधिकांश इलाकों में हैंडपंप से दूषित पेयजल आने लगा है.
जानकारों की माने तो आज से तकरीबन दो दशक पहले तक पीलीभीत जिले में 60 फीट की बोरिंग करने पर लोगों को शुद्धतम पेयजल मिल जाता था. वहीं अब यह स्तर काफी अधिक कम होता जा रहा है. वहीं अगर आंकड़ों की बात की जाए तो जिले में कम से कम 10 फीट पर पानी उपब्ध है. आम इलाकों कि अपेक्षा तो यह आंकड़े ज़रूर ठीक हैं लेकिन तराई के जिले के लिहाज से इन आंकड़ों पर जानकार चिंता जाहिर करते हैं. वहीं अगर बीते कुछ सालों के आंकड़ों की तुलना की जाए तो यहां का जलस्तर प्रतिवर्ष औसतन 1 फीट घट रहा है. जिले में सबसे ज्यादा चिंताजनक हालात अमरिया व बिलसंडा इलाके के हैं.