बाजारों में केमिकल वाले रंगों और गुलाल जमकर बिक रहे हैं। ऑर्गेनिक रंगों और गुलाल से महंगे होने के कारण लोग केमिकल युक्त रंगों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं, लेकिन इनका प्रयोग न केवल चेहरे की रंगत बिगाड़ सकता है बल्कि रंग आंखों और सांस की प्रणाली के लिए भी घातक साबित हो सकते हैं।
फेलिक्स अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ भाटिया केमिकल वाले रंग और गुलाल में कांच के महीन टुकड़े या पाउडर को मिलाया जाता है। इससे त्वचा कट सकती है। गुलाल खरीदने से पहले उसे हाथों की हथेली पर लगाकर रगड़ें। हाथों के छोटे से हिस्से पर गुलाल या गीले वाले रंग लगाकर देखें। 15 मिनट बाद इस रंग को सादा पानी से धोकर छुड़ाने की कोशिश करें। अगर रंग नहीं छूटता तो इसमें मिलावट की संभावना होती है।
काले रंग में लेड ऑक्साइड होता है जो शरीर से रिसकर अंदर जाए तो किडनी भी खराब कर सकता है। हरे रंग में कॉपर सल्फेट होता है। इससे आंख और चेहरे में सूजन आ जाती है साथ ही एलर्जी हो जाती है। सिल्वर रंग से स्किन कैंसर होने का खतरा रहता है। लाल रंग में मरक्यूरी सल्फाइड होता है जो स्किन कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है। मिलावटी गुलाल से फेफड़ों की बीमारी का खतरा बना रहता है। मिलावटी रंगों से फंगल इंफेक्शन और एलर्जी का खतरा रहता है। इससे शरीर पर चकत्ते, दाने, खुजली आदि होने लगते हैं।
वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहिता शर्मा कहते हैं कि रंग आंखों में चले जाएं तो आंखें अस्थायी/स्थायी रूप से खराब हो सकती हैं। इससे आंखों में जलन, चुभन, आंखों का लाल होना, एलर्जी, कॉर्नियल अल्सर, कंजंक्टिवाइटिस, ब्लाइंडनेस का खतरा रहता है। आंखों में रंग या धूल का कोई कण चला जाएं तो आंखों को रगड़ना नहीं चाहिए। स्वयं कोई इलाज नहीं करें और बिना चिकित्सक की सलाह के कोई आईड्रॉप भी नहीं डालें।
डॉ. अभिषेक दुबे का कहना है कि होली खेलने से पहले त्वचा पर तेल या मॉइस्चराइजर लगा लिया जाए तो काफी हद तक बचाव हो सकता है। इसके लिए नारियल का तेल, सरसों का तेल, वैसलीन अथवा कोई भी मॉइस्चराइजर का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे त्वचा पर अवरोध (कोडिंग) बन जाता है जो रंगों के दुष्प्रभाव को कम कर देता है।