लिवर का ट्रांसप्लांट एक जटिल मेडिकल प्रोसेस है जिसमें डैमेज लिवर को निकालकर उसकी जगह डोनर से मिला हेल्दी लिवर लगा दिया जाता है। लिवर ट्रांसप्लांट उन लोगों में किया जाता है, जिनमें लिवर की बीमारी अंतिम चरण में होती है, या जिनका लिवर खराब हो गया होता है।

द्वारका स्थित एचसीएमसीटी मणिपाल अस्पताल में सलाहकार- एचपीबी सर्जरी और लीवर ट्रांसप्लांट डॉ. संदीप के झा के अनुसार, लिवर ट्रांसप्लांट से जान बच जाती है, लेकिन जहां इसके फायदे हैं, वहीं इसके कुछ जोखिम भी हैं। लिवर ट्रांसप्लांटेशन लिवर की गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की जान बचा लेता है, और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।

डॉक्टर ने बताया कि लिवर का ट्रांसप्लांट के बाद मरीज अपना स्वास्थ्य फिर से प्राप्त करके सामान्य कामकाज दोबारा शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा लिवर ट्रांसप्लांटेशन में खराब लिवर को बदलने के अलावा, उन समस्याओं को भी दूर किया जाता है, जिसकी वजह से लिवर की बीमारी विकसित होती है।

ट्रांसप्लांटेशन की सर्जरी में ब्लीडिंग, इन्फेक्शन, ब्लड क्लॉट और एनेस्थीसिया से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है और कई बार लिवर के लिए बाहरी कारकों को झेलना मुश्किल होता है। इससे बचने के लिए मरीज को लाइफटाइम इम्यूनो सप्रेसेंट लेने पड़ते हैं, जिनके अपने अलग साइड इफेक्ट होते हैं। इम्युनो सप्रेसिव दवाइयां लेने पर संक्रमण का जोखिम भी बढ़ जाता है, जिससे गंभीर और जानलेवा स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

मरीज को इम्युनो सप्रेसिव दवाइयां नियम से लेनी चाहिए ताकि शरीर ट्रांसप्लांट किए गए लिवर को अस्वीकार न करे। दवाएं नहीं लेने से या फिर दवाइयों की दिनचर्या को बदलने से समस्याएं उत्पन्न होने का जोखिम बढ़ जाता है।

ट्रांसप्लांट किए गए लिवर के काम पर नजर रखने के लिए समय-समय पर मेडिकल जांच जरूरी है, ताकि कोई भी समस्या शुरुआत में ही सामने आ जाए, और दवाइयों में उसके अनुरूप संशोधन किया जा सके।

बैलेंस डाइट, एक्सरसाइज करने, शराब-स्मोकिंग से बचना और स्वस्थ जीवनशैली के जरिये ट्रांसप्लांट किए गए लिवर को भी स्वस्थ रखने में मददगार होती है। इसके अलावा साफ-सफाई का ध्यान रखें।