क्या आपको पता है कि भोजन परोसने और उसे खाने के भी खास नियम होते हैं. शायद आपको इस बारे में जानकारी न हो लेकिन वास्तु शास्त्र में इसे लेकर कई नियम बताए गए हैं. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इन वास्तु नियमों को नजरअंदाज कर भोजन करता है, उसकी स्थिति पशुओं के समान होती है और अंत में वह फल भी उसी समान भोगता है. आज हम आपको भोजन से जुड़े ऐसे ही कई वास्तु नियमों के बारे में बताते हैं, जिन्हें जानकर आप भी अपनी जिंदगी बेहतर बना सकते हैं.
वास्तु शास्त्र के मुताबिक जब भी आप भोजन करें तो थाली में पहला पहला निवाला निकाल कर अलग रख दें. जब आप भोजन कर लें तो उस बचे हुए पहले निवाले को पशु-पक्षियों और चींटियों को खिला दें. ऐसे करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है.
आप भोजन करते हुए किसी दूसरे के साथ तो एक ही थाली में खाना खा सकते हैं. लेकिन अगर कोई व्यक्ति पहले ही भोजन कर चुका तो उसकी झूठी थाली में कभी भोजन न करें. ऐसा करने से मां अन्नपूर्णा नाराज हो जाती हैं, जिसका दुष्प्रभाव को आर्थिक तंगी के रूप में भुगतना पड़ता है.
वास्तु नियमों के अनुसार भोजन शुरू करते वक्त आप पानी से भरे गिलास को हमेशा थाली के दाहिनी ओर रखें. इसकी बड़ी वजह ये होती है कि अधिकतर लोग दाहिने हाथ से काम करना पसंद करते हैं, इसलिए बीच में प्यास लगने पर उनके लिए पानी से भरा गिलास उठाना आसान होता है. साथ ही इससे सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
शास्त्रों के मुताबिक, भोजन करते समय आपका मुख भूलकर भी दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए. यह दिशा मृत्यु के देवता यमराज और मृतकों की मानी जाती है. इसलिए दिशा में भोजन करने से बचें. इसके बजाय आप पूर्व या उत्तर दिशा में मुख करके भोजन करें. उससे आपको सकारात्मक ऊर्जा मिलती है.
भोजन कर लेने के बाद कभी भी थाली में हाथ नहीं धोने चाहिए. ऐसा करना वास्तु नियमों में अशुभ माना जाता है. कहा जाता है कि ऐसा करने से घर की सुख-समृद्धि चली जाती है और परिवार एक-एक पैसे के लिए कंगाल हो जाता है.