नई दिल्ली. कभी अर्नेस्ट हेमिंग्वे ने लिखा था, “मैं जानता हूं, बुद्धिमान लोगों में खुशी सबसे दुर्लभ चीज होती है.” यह बात भले ही आपको अजीब लगे. लेकिन हमारे समाज में अक्सर ज्यादा बढ़िया की ओर बढ़ने का दबाव बनाया जाता है – बढ़िया जॉब, बढ़िया कार, बढ़िया घर और क्या नहीं, सभी बढ़िया होना चाहिए. और बुद्धिमान लोगों पर इस ‘बढ़िया-बढ़िया’ का दबाव और ज्यादा होता है. वाकई वे इस दिशा में सबसे तेजी से बढ़ते भी हैं. लेकिन यही लोग सबसे ज्यादा दुखी भी होते हैं. यहां इन्हीं समझदार लोगों के दुखी रहने के 6 संभावित कारण बताए जा रहे हैं –

1. ऐसे लोग ज्यादा सोचते हैं
जो लोग ज्यादा समझदार होते हैं, वे ज्यादा सोचते हैं, और विषयों, समस्याओं या परिस्थितियों के बारे में साधारण लोगों से ज्यादा बातें सोच सकते हैं. जिसके चलते उनके दिमाग में बहुत सारी बातों और चिंताओं का जाल बन जाता है.

2. वे हमेशा जीवन में एक बड़े उद्देश्य की तलाश में रहते हैं
जो लोग बुद्धिमान होते हैं वे अपने जीवन से संतुष्ट नहीं होते और हमेशा बेहतर संभावनाएं तलाशते रहते हैं, चाहे ये संभावनाएं जीवन से जुड़ी हों या रोजगार से. खासकर साधारण चीजों और बातों से उन्हें बोरियत होती है. क्योंकि उनमें कुछ नया जानने, करने या समझने को नहीं होता.

3. वे हमेशा काम की बातें करना चाहते हैं
वे किसी ऐसे इंसान को मुश्किल से अपने आस-पास पाते हैं जो उन्हें अच्छे से सुने और समझे. क्योंकि वे ऐसे खुद होते हैं तो वे तो ऐसा दूसरों के साथ करते हैं पर जब दूसरे उनके साथ ऐसा नहीं करते तो उन्हें बुरा लगता है. इसलिए वे दुखी हो जाते हैं. उन्हें बातों में विश्लेषण और गहराई रास आती है जो सबके बस की बात नहीं है.

4. सभी से उन्हें बहुत ज्यादा अपेक्षा रहती है
वे यह पहले से सोच लेते हैं कि किसी कदम से उन्हें कितना फायदा हो सकता है? और अगर उन्हें उतना फायदा नहीं होता, जितनी उन्होंने आशा की होती है तो भी वे दुखी हो जाते हैं. लेकिन यह बात यहीं नहीं रुकती. वे यह भी खोजते हैं कि किसके चलते ऐसा हुआ है, और फिर वे उस इंसान से दुखी हो जाते हैं क्योंकि उन्हें उससे बहुत अधिक अपेक्षा थी.

5. वे खुद को भी बड़ी क्रूरता के जज करते हैं
बुद्धिमान लोगों को समझदारी से इतना ज्यादा लगाव होता है कि वे अपना मूल्यांकन करते हुए भी खुद को बहुत ज्यादा हेय मानते हैं. साथ ही वे खुद के बारे में सोचते हुए बहुत ज्यादा वक्त भी खर्च करते हैं. जाहिर है इसके बाद वे जितना ज्यादा, अपने बारे में सोचते जाते हैं, उतनी ही ज्यादा उन्हें अपने और अपने व्यक्तिव के बारे में बुरा महसूस होने लगता है. जो उनके दुख की एक बड़ी वजह बन जाता है.

6. समझदार लोगों में मानसिक बीमारियों की संभावना होती है ज्यादा
एक स्टडी के मुताबिक समझदार लोगों को मनौवैज्ञानिक बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है. अक्सर पाया गया है बाइपोलर डिसऑर्डर हो, लोगों से होने वाली घबराहट हो या फिर कोई दूसरा ऐसा दिमागी डिसऑर्डर, समझदार लोगों में ज्यादा पाये गये हैं.