नई दिल्‍ली. भारत में कोरोना के आने के बाद से कई क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ा था लेकिन अब देखने को मिल रहा है कि स्‍कूलों और शिक्षा व्‍यवस्‍था पर इसका कुछ ज्‍यादा खराब असर रहा है. कोरोना के चलते न केवल स्‍कूल बंद रहे बल्कि ऑनलाइन पढ़ाई भी बाधित रही. अब इसी संबंध में दिल्‍ली नगर निगम के एक स्‍कूल से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. जिससे एमसीडी के अन्‍य स्‍कूलों में शिक्षा के नुकसान का आकलन किया जा सकता है.

एजुकेशन एक्टिविस्‍ट, ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष, एडवोकेट अशोक अग्रवाल की ओर से बताया गया कि दिल्‍ली नगर निगम के आनंदपुरी, बापा नगर स्थित दो पालियों में चल रहे स्‍कूल से मिले आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के दौरान इस स्‍कूल से 1.30 फीसदी छात्रों ने स्‍कूल ही छोड़ दिया है. कोरोना के दौरान स्‍कूल बंद होने के बाद जब दोबारा खुले हैं तो वे बच्‍चे स्‍कूल में लौटे ही नहीं हैं. ये वे बच्‍चे हैं जो कोरोना के दौरान अपने-अपने गांव या होम टाउन गए थे और कोरोना के मामलों में कमी आने के बाद भी वे वापस नहीं आए हैं. यह सिर्फ एक सैंपल है, अन्‍य स्‍कूलों में इससे भी ज्‍यादा खराब स्थिति हो सकती है.

अग्रवाल ने बताया कि सबसे खास बात है कि इन बच्‍चों ने कहीं दूसरी जगह पर एडमिशन लिया होगा, इस बात की भी संभावना नहीं दिखाई दे रही है क्‍योंकि दूसरी जगह नाम लिखवाने के लिए पुराने स्‍कूल से टीसी यानि ट्रांस्‍फर सर्टिफिकेट की जरूरत पड़ती है. जिसके आधार पर दूसरा स्‍कूल बच्‍चे को अगली कक्षा में दाखिला देता है लेकिन कमाल की बात है कि जो भी बच्‍चे स्‍कूल नहीं लौटे हैं, उनमें से एक भी बच्‍चे ने अपनी टीसी नहीं कटवाई है. इससे यह बात पुष्‍ट होती है कि वे बच्‍चे अब स्‍कूलों से हट चुके हैं.

अशोक अग्रवाल कहते हैं कि सबसे खराब जो है वह यह है कि स्‍कूल के आंकड़े बताते हैं कि अभी भी एमसीडी स्‍कूलों के 6 में से 4 स्‍कूल टीचर कोरोना ड्यूटी पर तैनात हैं. ऐसे में जब शिक्षक ही स्‍कूलों में मौजूद नहीं हैं तो बच्‍चों को पढ़ाएगा कौन. लिहाजा जो बच्‍चे स्‍कूल में आ भी रहे हैं वे क्‍या पढ़ रहे हैं और कैसे पढ़ रहे हैं, ये एक बड़ा सवाल है. अग्रवाल कहते हैं कि देश में कोरोना घट गया है, सभी संस्‍थाएं और गतिविधियां शुरू हो चुकी हैं लेकिन स्‍कूल के शिक्षक अभी भी कोविड ड्यूटी कर रहे हैं, यह दयनीय है.

बापा नगर स्‍कूल के आंकड़ों में सामने आया है कि एक स्‍कूल में 300 बच्‍चों में से कोरोना काल के दौरान सिर्फ 55 बच्‍चे ही ऑनलाइन कक्षाएं ले पाए हैं. यह काफी चौंकाने वाला है कि बाकी बच्‍चों ने इस दो साल की अवधि में कोई क्‍लास ही नहीं ली है. उन बच्‍चों की पढ़ाई इन दो सालों में पूरी तरह जीरो हो गई. अग्रवाल कहते हैं कि जब दिल्ली के स्‍कूलों का ये हाल है तो बाकी जगहों पर तो और भी हालात खराब होंगे. वे कहते हैं कि एमसीडी के स्‍कूलों की तरह ही दिल्‍ली सरकार के स्‍कूलों का भी हाल होगा, ऐसी पूरी संभावना है. जरूरी है कि दिल्ली सरकार भी इस संबंध में स्‍कूलों का डेटा जारी करे ताकि वास्‍तविक स्थिति का पता चल सके.