नई दिल्ली. अगर आप हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हैं तो यह खबर आपके काम की है. इस बार आईटीआर फाइल करने से पहले आयकर विभाग की तरफ से हुए बदलावों पर नजर जरूर डाल लीजिए. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए गए हैं.
इस बार इनकम टैक्स विभाग की तरफ से ज्यादा बदलाव तो नहीं किया गया. लेकिन फिर भी कुछ चीजें बदल गई हैं. टैक्स भरने वालों को कुछ अतिरिक्त जानकारियां देनी होंगी. इन बदलावों के बारे में जानकारी नहीं होने पर आपको आईटीआर भरने में परेशानी हो सकती है. आइए जानते हैं ऐसी जानकारियों के बारे में जो आपको आईटीआर फाइल करते समय देनी होंगी.
यदि आपका ईपीएफ अकाउंट में हर साल ढाई लाख रुपये से ज्यादा का योगदान है तो अतिरिक्त योगदान पर मिले ब्याज पर आपको टैक्स देना होगा. इस ब्याज के बारे में आपको आईटीआर फॉर्म में जानकारी देनी होगी.
यदि आपने 1 अप्रैल 2021 से 31 मार्च 2022 की समयावधि के बीच किसी तरह की प्रॉपर्टी खरीदी या बेची है तो तारीख सहित इसकी जानकारी देनी होगी. आईटीआर फॉर्म में आपको Capital Gains के अंतर्गत खरीद या बिक्री की तिथि बताना आवश्य है.
यदि आपने मकान के रिनोवेशन पर खर्च किया है तो इसकी जानकारी भी साल दर साल के आधार पर देनी होगी. इस लागत को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन निकालने के लिए बिक्री की कीमत में से घटाना होगा.
कैपिटल गेन्स के बारे में जानकारी देने के दौरान अभी आपको केवल इंडेक्स कॉस्ट ही बताना जरूरी था. लेकिन इस बार से आपको इंडेक्स कॉस्ट के साथ-साथ प्रॉपर्टी खरीदने की असल कीमत (मार्केट रेट) भी बताना होगा.
आईटीआर फाइल करने के दौरान रेसिडेंशियल स्टेटस बताना जरूरी कर दिया गया है. यदि आप आईटीआर-2 या आईटीआर-3 फॉर्म भर रहे हैं तो आपको रेसिडेंशियल स्टेटस सपोर्ट का विकल्प चुनना होगा. इसमें मिलने वाले विकल्प में आपको बताना होगा कि आप कब से भारत में रह रहे हैं.
साल 2020 के बजट में ऐलान किया गया था कि किसी स्टार्टअप के कर्मचारी ईएसओपी पर टैक्स देना टाल सकते हैं. हालांकि, इसकी कुछ शर्तें हैं. इस बार आईटीआर फाइलिंग के दौरान कर्मचारी को टाली गई टैक्स की रकम के बारे में जानकारी देनी होगी.
यदि आपके पास विदेश में भी प्रॉपर्टी है या विदेश में मौजूद किसी संपत्ति से डिविडेंड या ब्याज के रूप में कमाई हुई है तो आईटीआर भरते समय इस बारे में जानकारी देनी जरूरी है. इसके लिए फॉर्म-2 और फॉर्म-3 का यूज किया जा सकता है.
यदि आपने देश के बाहर कोई प्रॉपर्टी बेची है तो आईटीआर फाइलिंग के समय इस बारे में जानकारी देनी होगी. आईटीआर फाइलिंग में खरीदार और प्रॉपर्टी के एड्रेस की जानकारी देनी होगी.
आईटीआर फॉर्म में पेंशनर्स को पेंशन के सोर्स के बारे में बताना होगा. Nature of Employment ड्रॉप-डाउन मेन्यू में पेंशनर्स को दिए गए विकल्पों में से किसी एक को चुनना होगा. यदि केंद्र सरकार के पेंशनर हैं तो Pensioners-CG चुनें, राज्य सरकार के पेंशनर होने पर Pensioners – SC चुनें. इसी तरह यदि पब्लिक सेक्टर की कंपनी के पेंशनर हैं तो Pensioners-PSU चुनना होगा.