लखनऊ।  एक्सप्रेसवे के मामले में देशभर में शीर्ष पर काबिज उत्तर प्रदेश में नए एक्सप्रेसवे के प्रस्तावों पर काम चल रहा है। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे 98 फीसदी और गंगा एक्सप्रेसवे का काम 68 फीसदी हो चुका है। इन दोनों निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे के साथ नए या ठंडे बस्ते में जा चुके एक्सप्रेसवे के प्रस्तावों को फिर बाहर निकाला गया है।

इन्हीं में से एक है अपर गंगा कैनाल एक्सप्रेसवे (यूजीसी एक्सप्रेसवे), जो 8700 करोड़ रुपये की लागत वाला आठ लेन का प्रवेश नियंत्रित एक्सप्रेसवे होगा। ये उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड सीमा से पहले बुलंदशहर के सनौता पुल से मुजफ्फरनगर स्थित पुरकाजी तक ऊपरी गंगा नहर के किनारे से निकलेगा।

प्रस्तावित एक्सप्रेसवे का निर्माण पूर्वांचल को नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) से जोड़ेगा। यह बुलंदशहर, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिलों से होकर निकलेगा। इससे पूर्वांचल को तेजी से विकसित होने का एक और रास्ता मिलेगा।

उत्तर से दक्षिण तक फैले इस एक्सप्रेसवे के जरिये कई शहरों के बीच अच्छे रोड नेटवर्क बनेंगे। प्रदेश को औद्योगिक, वाणिज्यिक और आवासीय गति मिलेगी। एक्सप्रेसवे के एक छोर पर स्थित एनसीआर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद औद्योगिक गतिविधियों के गढ़ बन चुके हैं। ग्रेटर नोएडा एशिया का सबसे बड़ा औद्योगिक नगर बन चुका है।

प्रस्तावित एक्सप्रेसवे में शामिल होंगे कई लिंक एक्सप्रेसवे
-दक्षिण-पश्चिम मेरठ को प्रस्तावित एक्सप्रेसवे के जरिए मेरठ एयरपोर्ट और प्रस्तावित डीएफसी टर्मिनल से जोड़ने के लिए 23.5 किमी का लिंक एक्सप्रेसवे
-पुरकाजी से देवबंद तक 16.5 किमी का लिंक एक्सप्रेसवे
-एनएच-24 के नजदीक से गुजरने वाले एक्सप्रेसवे को डासना फॉल के पास से जोड़ने के लिए 3.5 किमी का लिंक एक्सप्रेसवे
-इसके अलावा अन्य फ्यूचर लिंक, जो 25 किमी लंबे हैं।

147.8 किलोमीटर लंबा होगा प्रस्तावित एक्सप्रेसवे
आठ लेन के यूजीसी एक्सप्रेसवे की अनुमानित लंबाई 147.8 किमी है। जबकि छह लेन के लिंक एक्सप्रेसवे की लंबाई 68.5 किमी होगी। दो लेन के सर्विस रोड की अनुमानित लंबाई 97.30 किमी होगी। एक्सप्रेसवे के किनारे छह स्थानों पर लैंड पार्सल के लिए विकास किया जाएगा। ताकि लाजिस्टिक सेवाओं को रफ्तार मिल सके। नहर, पर्यटन के विकास और वाटर स्पोर्ट्स के साथ नेविगेशन सुविधाएं होंगी। नहर पर सात जगहों पर पनबिजली स्टेशनों का विस्तार किया जाएगा।