करनाल। किसानों पर लाठीचार्ज के मामले में ड्यूटी मजिस्ट्रेट आयुष सिन्हा के खिलाफ कडी कार्रवाई की मांग को लेकर गुस्साए किसानों ने बेमियादी धरने का ऐलान करते हुए लघु सचिवालय पर डेरा डालकर धरनास्थल पर टेंट लगाने शुरू कर दिए हैं। वहां किसान पक्का मोर्चा लगाने की तैयारी में जुट गए हैं। किसानों ने कोई समझौता ना होने पर हरियाणा जाम करने की भी धमकी दी है।

मिनी सचिवालय पर धरने के बाद करनाल में कल रात से हालात सामान्य रहने के बाद बुधवार सुबह किसानों ने जींद में सभी हाईवे खोल दिए। किसानों ने जींद-चंडीगढ़, हिसार-चंडीगढ़, जींद-करनाल और जींद-दिल्ली राजमार्गों को बाधित किया था। किसानों का कहना है कि जैसे ही करनाल से कोई आदेश आएगा, हरियाणा जाम कर दिया जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार किसानों को छेड़ने की गलती न करे। फिलहाल जींद में सभी मार्गों पर ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मांग मानी नहीं गई। प्रशासन ने एसडीएम की पिछली कार्रवाई का स्पष्टीकरण देने की कोशिश की है। अब हम आगे की कार्रवाई पर फैसला लेने के लिए किसानों के साथ बैठक करेंगे। हमने प्रशासन से कहा कि अधिकारी को सस्पेंड कर दो, आगे जो जांच है, वो चलती रहेगी। लेकिन वे इस बात पर भी नहीं माने। जब उनसे पूछा कि किसान शहर में आए तो नुकसान हो सकता है, इस पर उन्होंने जवाब दिया कि हो जाने दो..। जो कुछ होगा। हमें क्या पता, जो होगा उसकी जिम्मेदारी सरकार की है। सरकार टकराव चाहती है। गुरनाम सिंह चढूनी द्वारा आहूत करनाल किसान महापंचायत में राकेश टिकैत, संयुक्त किसान मोर्चा के योगेंद्र यादव, बलबीर राजेवाल आदि नेताओं ने पहुंचकर किसान एकता का संदेश देने का प्रयास किया। विपक्षी व सत्तारूढ़ दल के कई नेता लगातार महापंचायत में मौजूद अपने परिचितों से अपडेट लेते रहे। महापंचायत में नेताओं ने वाहे गुरु जी का खालसा, वाहे गुरु जी की फतेह के साथ ही अल्लाह-हू-अकबर और हर-हर महादेव के नारे भी लगवाए।

28 अगस्त को किसानों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में मंगलवार को करनाल में किसानों की महापंचायत हुई। इसके बाद प्रशासन से वार्ता विफल होने के बाद किसानों ने लघु सचिवालय का घेराव किया। रात भर किसानों का धरना जारी रहा। कुछ देर बाद किसान नेता आगे की रणनीति का खुलासा करेंगे। मंगलवार को पूरे घटनाक्रम का सरकार ने पल-पल का फीडबैक लिया। डीजीपी पीके अग्रवाल और एडीजीपी कानून एवं व्यवस्था नवदीप सिंह विर्क हर घटनाक्रम की जानकारी तत्काल मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृहमंत्री अनिल विज को देते रहे। सुबह से लेकर रात तक चले घटनाक्रम पर सरकार की निगाह टिकी रही। इस बार सरकार का पूरा फोकस किसानों की महापंचायत को शांतिपूर्ण तरीके से कराने को लेकर रहा। प्रदेश सरकार किसी भी सूरत में 10 दिन पहले बसताड़ा टोल की घटना की पुनरावृत्ति नहीं चाहती थी। ऐसे में सरकार का खुफिया विभाग भी अलर्ट रहा और तमाम घटनाक्रम की जानकारी आला अधिकारियों को देता रहा। हालांकि, सरकार द्वारा की गई तमाम तैयारियों के बावजूद किसानों ने शाम को लघु सचिवालय का घेराव कर लिया और वहीं पर डेरा जमा लिया। पूरी रात किसान सड़कों पर डटा रहा और सरकार-प्रशासन की सांसें अटकी रहीं।

अगर किसानों ने सेक्टर-12 रोड को लंबे समय तक के लिए बंद रखा तो इससे लोगों का न केवल सरकारी बल्कि गैर सरकारी काम काज भी प्रभावित होगा। क्योंकि सचिवालय के अंदर स्थित 40 विभागों के कार्यालयों के अलावा सेक्टर-12 के 20 से ज्यादा बैंक, 15 से ज्यादा बीमा कंपनियों और 30 से ज्यादा अन्य निजी कार्यालय, इसी रोड पर स्थित हैं। यहां हजारों लोग कामकाज के लिए आते हैं।