मेरठ। परतापुर थाना क्षेत्र के शंकरनगर फेस-2 में तीन मंजिला मकान में बने साउंड प्रूफ मिनी चर्च में धर्मांतरण प्रकरण में विनीत पास्टर, उसकी पत्नी पायल, मां गीता, दोस्त जॉनी पास्टर और उसकी पत्नी संगीता को पुलिस ने सोमवार को कोर्ट में पेश किया। पांचों को जेल भेज दिया गया। मामले को लेकर पुलिस के साथ खुफिया एजेंसी भी अलर्ट हो गई हैं। पुलिस फंडिंग से लेकर लोगों को जोड़ने तक आरोपियों के पूरे नेटवर्क को खंगालने के प्रयास में जुटी है।

जानी थाना क्षेत्र के खेड़की मुजक्कीपुर निवासी विनीत पास्टर के तीन मंजिला मकान में धर्मांतरण का आरोप लगाकर रविवार को विभिन्न संगठन के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया था। आरोप था कि मकान की दूसरी मंजिल पर बड़े हॉल में बने मिनी चर्च में करीब 100 लोगों का ब्रेनवाॅश कर धर्मांतरण कराया जा रहा था। यहां मानसिक बीमारी के इलाज की आड़ में धर्मसभा में धर्मांतरण कराया जा रहा था। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मिनी चर्च से धार्मिक साहित्य, धर्मांतरण के फार्म समेत कई दस्तावेज बरामद किए थे।

धर्मसभा में करीब 100 लोग मौजूद थे। एएसपी अंतरिक्ष जैन ने बताया कि पुलिस ने मौके से मुख्य आरोपी विनीत पास्टर, उसकी पत्नी पायल, मां गीता, दोस्त जॉनी पास्टर और उसकी पत्नी संगीता समेत 15 लोगों को हिरासत में लिया था। जांच में सामने आया था कि पांच साल में करीब 500 लोगों का धर्मांतरण करा दिया गया। पुलिस ने सर्वेश उपाध्याय की तहरीर पर पांच नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ उप्र विधि विरूद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था।

परतापुर के धर्मांतरण प्रकरण के तार कंकरखेड़ा के मामलों से भी जुड़े होने की आंशका जताई जा रही है। पुलिस इसकी भी जांच कर रही है। कंकरखेड़ा की विकास एनक्लेव कॉलोनी में 20 अक्तूबर को भाजपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा करते हुए कई परिवारों के धर्मांतरण कर आरोप लगाया था। इस मामले में आरोपी बीजू मैथ्यू को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इससे पहले अगस्त माह में कंकरखेड़ा के ही खड़ौली गांव में विहिप और भाजपा कार्यकर्ताओं ने हंगामा करते हुए पुलिस को बुलाया था। पुलिस ने निशा भारद्वाज, छाया, मिथलेश, गुलशन और दीपक को गिरफ्तार किया था। मुख्य आरोपी रवि पास्टर फरार हो गया था। मार्च माह में कंकरखेड़ा की पालम विहार कॉलोनी में धर्मांतरण का मामला सामने आया था।

पुलिस की पूछताछ में पकड़े गए पांचों आरोपी धर्मांतरण की बात नकारते रहे। रविवार को एएसपी, इंस्पेक्टर और खुफिया एजेंसियों ने घंटों पूछताछ की। एएसपी अंतरिक्ष जैन के मुताबिक पूछताछ में भी आरोपियों ने धर्म परिवर्तन की बात नहीं कबूली। इन लोगों ने बताया कि उनके पास लोग लकवा, पेट से जुड़ी, मानसिक रोग, जोड़ों के दर्द सहित अन्य बीमारियों का उपचार कराने आते थे। फंडिंग पर पुलिस का कहना है आरोपियों के अनुसार जो लोग ठीक हो जाते थे वो अपनी मर्जी से चर्च के लिए पैसा देकर जाते थे। कुछ लोग ठीक होने के बाद दान भी करते थे। जबकि मौके से मिले सबूत धर्मांतरण की गवाही दे रहे हैं। प्रार्थना सभा में शामिल लोगों को ईसाई धर्म की विशेषता बताई जाती थी। जो लोग तैयार होते उनका फार्म भरकर धर्मांतरण कराकर नया नाम दिया जाता था।

पुलिस ने जिस समय छापा मारा मौके पर मिले सभी लोग आर्थिक रूप से कमजोर थे। ज्यादातर लोग मेरठ के ग्रामीण क्षेत्र से आए हुए थे। किसी को बीमारी ठीक करने का तो किसी को धन का लालच दिया जाता था। उनकी जाति और धर्म की खामियां बताकर उनका ब्रेनवाॅश किया जाता था। इलाज के लिए आए लोगों को दोबारा आने के लिए प्रेरित किया जाता था। आरोपियों की टीम दोबारा आने वाले लोगों की आर्थिक, पारिवारिक, सामाजिक, मानसिक और भौगोलिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी हासिल करती थी।

मिनी चर्च में लोगों को ठहरने, खाने-पीने की उच्च स्तरीय सुविधाएं दी जाती थीं। इसके बाद लोगों की कमजोरियों को उनके खिलाफ इस्तेमाल कर या लालच देकर धर्मपरिवर्तन करने के लिए कहा जाता था। धर्म परिवर्तन करने वालों को ज्यादा से ज्यादा लोगों को लाकर धर्मांतरण कराने के लिए लालच दिया जाता था। पांच साल से यह सारा खेल चल रहा था।