नई दिल्ली। काला धन और अघोषित आय देश में लंबे समय से एक बड़ा मुद्दा रहा है। पिछले कई दशकों से सरकारी टैक्स अधिकारी समय-समय पर नागरिकों द्वारा विदेश भेजी जा रही आय को लेकर खुलासा भी करते रहे हैं जो इस बात को दर्शाता है कि आज के समय में भी बड़ी संख्या में लोग विदेशों में निवेश कर रहे हैं। काला धन और अघोषित आय किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा खतरा होता है। इससे देश में महंगाई, भ्रष्टाचार में इजाफा और बड़ी मात्रा में राजस्व का भी नुकसान होता है।

सरकार इस समस्या को खत्म करने के लिए 2015 में अज्ञात विदेशी आय तथा परिसंपत्ति (कर अधिरोपण) विधेयक, 2015 ला चुकी है, जिसके बाद देश के सभी नागरिकों के लिए यह जरूरी कर दिया गया है कि अगर विदेश में उनकी कोई संपत्ति है या फिर विदेश से कोई आय आ रही है तो उसे अपने आईटीआर में घोषित करना होगा।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस के मुताबिक, करदाताओं को शेड्यूल एफए के अंतर्गत विदेशी खातों, विदेशी कंपनियों के शेयरों, विदेशी फंड की म्यूचुअल फंड इकाइयों और अचल संपत्ति को घोषित करना होगा। करदाताओं को यहां यह ध्यान रखना है कि अगर विदेश में संपत्ति है और उससे कोई आय भी नहीं हो रही है, फिर भी आईटीआर में उसके बारे में बताना होगा।

हाल के दिनों में टैक्स नियामकों के द्वारा विदेशों के साथ कई कर समझौते किए गए हैं, जिसके बड़ी आसानी से देश के टैक्स नियामकों के पास देश के नागरिकों की ओर से विदेशों में किए जा रहे निवेश जानकारी मिल जाती है। अगर आपने भी आईटीआर में विदेश में संपत्ति होने की घोषणा नहीं की है तो काला धन कानून के तहत आप पर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना लगाया जाता सकता है। इसके साथ ही इसे ‘अघोषित विदेशी आय और संपत्ति’ के रूप में माने जाने का खतरा होता है, जिस पर 30 फीसदी टैक्स और कुल कर देयता का 3 गुना जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

अगर आप इन सभी झंझटों से बचना चाहते हैं तो आपको अपने आईटीआर में विदेशी सम्पत्तियों और आय के बारे में पूरी जानकारी देनी होगी। वहीं, अगर आपने इस साल का आईटीआर भर दिया, तो फिर आपको एक बार आपने आईटीआर को चेक करना चाहिए कि अपने अपनी सभी विदेशी संपत्तियों और आय का विवरण दिया है या नहीं। अगर नहीं दिया है तो आप लेट फीस भरकर अपने आईटीआर में संशोधन कर सकते हैं।