नई दिल्ली। दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त लोगों और उनके परिजनों के लिए एक अच्छी खबर यह है कि उनकी जेब का बोझ काफी कम हो जाएगा। अब कई दुर्लभ बीमारियों की दवाइयां देश में ही बनने लगी हैं। पहले ये दवाइयां बाहर से आयातित होती थीं। दवा बाहर से आयातित होने के चलते उसकी कीमत काफी ज्यादा होती थी। अभी इन दुर्लभ बीमारियों में से छह की दवाएं 6 लाख रुपये से लेकर 2.2 करोड़ तक की आती है लेकिन ये अब काफी कम कीमत पर मिलेंगी। आइए जानते हैं कौन सी दुर्लभ बीमारियां हैं और उनपर भारत में क्या काम हुआ है?
इन रेयर बीमारियों में टायरोसिनेमिया (tyrosinemia), गौचर (gauchers), विल्सन (wilsons), ड्रेवेट सिंड्रोम (dravet), फेनिलकीटोनूरिया (phenylketonuria) और हाइपरअमोनमिया (hyperammonemia) मुख्य हैं। इनकी दवाइयां लाखों और करोड़ो रुपये में आती हैं। इन 6 बीमारियों में से 4 की दवाइयां अब भारत में ही उपलब्ध हैं और बाकी पर मंजूरी अभी मिलनी शेष है। इनकी दवाइयां निटिसिनोन (nitisinone), इग्लूसेट (eiglusat), ट्राइनटाइन (trientine) और कैनाबिडोल (cannabidol) दवाइयां अब देश में मिलेंगी। इसमें निटिसिनोन की कीमत करोड़ों में है लेकिन यह आधे से भी कम दाम मिलेगी। इसी तरह इग्लूसेट की कीमत 3.6 करोड़ रुपये है जो 3 से 6 लाख रुपये में मिलेगी।
अभी देश में आठ दुर्लभ बीमारी की दवाइयों के उत्पादन पर काम हो रहा है लेकिन इनमें से चार को अभी मंजूरी मिलनी बाकी है। बाकी चार दवाइयां सैबप्रॉपटेरिन (sabpropterin, सोडियम फेनिल बुटयेर (sodium pehnyl butyare), कैग्लूमिक (caglumic) और एसिड मिग्लुसेट (acid miglusat) भी अगले महीने तक मिल पाएंगी। अभी इनकी मंजूरी मिलनी बाकी है।
स्किल सेल एनीमिया (sickle cell anemia) के लिए एकम्स (akums) भी मार्च 2024 तक आ जाएगी। इसकी कीमत सिर्फ 450 रुपये होगी। स्किल सेल एनीमिया यह बीमारी लाल रक्त कोशिकाओं में होती है। आमतौर पर लाल रक्त कोशिकाएं गोल और लचीली होती हैं। इस बीमारी में लाल रक्त कोशिकाएं सिकल्स यानी फसल काटने की दरांती या अर्ध चंद्राकार की आकार ले लेता है। इन दवाओं का अन्य देशों में निर्यात भी किया जाएगा।
आपको बता दें कि इसी साल केंद्र की मोदी सरकार ने दुर्लभ बीमारियों को लेकर बड़ा ऐलान किया था। केंद्र सरकार ने उपचार में शामिल दवाओं और विशेष खाद्य सामग्री पर सीमा शुल्क खत्म करने की अधिसूचना जारी की थी। केंद्र सरकार ने कैंसर और हार्ट से संबंधित इलाज में आने वाले दवाई और मेडिकल उपकरणों को बुनियादी सीमा शुल्क से मुक्त कर दिया था। मोदी सरकार ने इसके साथ ही राष्ट्रीय दुर्लभ रोग नीति 2021 के तहत सूचीबद्ध सभी दुर्लभ बीमारियों को इसमें शामिल किया था। इसी नीति के तहत इन दुर्लभ बीमारियों की दवाओं की कीमत करने के अभियान में सफलता मिल पा रही है।