नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती महंगाई से आम जनता को राहत मिल सकती है. मंत्रियों का एक पैनल गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) पर सिंगल नेशनल रेट के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स लगाने को लेकर विचार किया जाएगा. मामले की जानकारी रखने वालों के अनुसार, कंज्यूमर प्राइस और सरकारी राजस्व में संभावित बड़े बदलाव के लिए अहम कदम को उठाया जा सकता है.
शुक्रवार को लखनऊ में होने वाली 45वीं जीएसटी काउंसिल के बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाला पैनल इस पर विचार करेगा.
कैसे होता है जीएसटी सिस्टम में बदलाव?
दरअसल, जीएसटी सिस्टम में अगर कोई भी बदलाव करना हो तो उसमें पैनल के तीन-चौथाई से अप्रूवल की जरूरत होती है. इसमें सभी राज्यों और क्षेत्रों के प्रतिनिधि शामिल होंगे. हालांकि इस प्रस्ताव में से कुछ ने फ्यूल को जीएसटी में शामिल करने का विरोध किया है क्योंकि उनका कहना है कि ऐसे में केंद्र सरकार को एक प्रमुख राजस्व जुटाने वाला टूल सौंप देंगे.
पेट्रोल-डीजल की कीमतें तोड़ रही कमर
गौरतलब है कि देश भर में पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं जिससे आम जनता बेहाल है. हालांकि इसी बीच आपको बता दें कि मंगलवार 14 सितंबर, 2021 को लगातार नौवें दिन इनके दाम स्थिर हैं. बावजूद इसके राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 101.19 पैसे प्रति लीटर की दर पर है. वहीं, डीजल 88.62 रुपये प्रति लीटर है. मुंबई में पेट्रोल 107.26 रुपये प्रति लीटर है. वहीं, डीजल 96.19 पैसे प्रति लीटर है.
महंगे पेट्रोलियम उत्पादों से भरा सरकारी खजाना
दरअसल, सरकार का पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क कलेक्शन चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 48 प्रतिशत बढ़ा है. यानी बढ़ती कीमत के बीच पेट्रोल-डीजल ने सरकार के खजाने को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है. अप्रैल से जुलाई 2021 के दौरान उत्पाद शुल्क कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 67,895 करोड़ रुपये था. वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 में पेट्रोल-डीजल पर केंद्र सरकार की तरफ से वसूले जाने वाले टैक्स में 88 फीसदी का उछाल आया है और यह रकम 3.35 लाख करोड़ रही.