अयोध्या. हनुमान भक्त अपनी दिनचर्या की शुरुआत हनुमान चालीसा के पाठ से ही करते हैं. अगर आप प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो इससे आपके भीतर शक्ति तो आती ही है. लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी के सूत्र को समझ रहे हैं तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी. हनुमान चालीसा में शुरू से लेकर अंत तक सफलता के कई सूत्र छिपे हुए हैं. ये बातें अयोध्या के प्राचीन सिद्धपीठ हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने कहीं.

महंत राजू दास बताते हैं कि हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं. हनुमान चालीसा बहुत सुलभ है. अगर कोई व्यक्ति हनुमान चालीसा की एक-एक चौपाई को अपने जीवन में उतारता है, तो उसका जीवन बन सकता है. सुधर सकता है. इतना ही नहीं उसके भविष्य में चार चांद भी लग सकते हैं.

वैसे तो हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु से हुई है. हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है ‘श्री गुरु चरण सरोज रज निज मन मुकुर सुधारी’ अर्थात अगर आपके जीवन में कोई गुरु नहीं है तो आपको फिर कोई आगे नहीं बढ़ा सकता. गुरु ही आपको सही रास्ता दिखाता है. आज के दौर में अगर आपको तरक्की की राह पर आगे चलना है, तो आपको बड़ों का सम्मान करना होगा.

गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं “कंचन वरण विराज सुबेसा कानन कुंडल कुंचित केसा”. इसका मतलब यह होता है कि हनुमान जी का शरीर सोने की तरह चमक रहा है. अच्छे वस्त्र हैं, कानों में कुंडल है और बाल संवरे हुए हैं. कहने का तात्पर्य यह है कि आज के दौर में व्यक्ति की तरक्की भी इस बात पर निर्भर करती है कि वह रहता कैसे है. दिखता कैसे है. इसलिए आपको रहन-सहन और पहनावा हमेशा अच्छा रखना चाहिए .

हनुमान चालीसा में आपको एक और चौपाई मिलेगी, जिसमें गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है “विद्यावान गुनी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर” अर्थात पवन पुत्र हनुमान विद्यामान हैं, उनके अंदर कई तरह के गुण हैं, चतुर भी हैं और भगवान राम के काम के लिए तत्पर भी हैं. कहने का तात्पर्य है कि आज के समय में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है. डिग्री के साथ-साथ आपके अंदर गुण होना, बुद्धि होना, चतुर होना जरूरी है. सिर्फ डिग्री से ही सब कुछ हासिल नहीं होता है.