यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण के चार दिन बीत गए हैं। इस दौरान पश्चिमी मीडिया और इंटरनेट मीडिया पर कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं जिससे लगता है कि यूक्रेन में रूसी सैनिकों को आम लोगों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इससे यह सवाल उठाए जाने लगे हैं कि क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने द्वितीय विश्व युद्ध से कोई सबक नहीं लिया, जिसमें सबसे अच्छे सोवियत सैनिक यूक्रेनी ही थे।

यूक्रेन के खुफिया अधिकारियों के हवाले से पश्चिमी मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक पुतिन वास्तविकता से दूर एक अलग दुनिया में रहते हैं। वह अपने से पहले के तानाशाह की तरह हर चीज को अपने नजरिये से देखते हैं। वह सोचते हैं कि यूक्रेन की सरकार भ्रष्ट और रूस विरोधी है और पश्चिम की तरफ उसका झुकाव है। यूक्रेनी अधिकारी बताते हैं कि पुतिन को लगता था कि यूक्रेन के लोग रूसी सैनिकों का स्वागत करेंगे।

रूस के खुफिया विभाग के अधिकारी पुतिन को वही बताते हैं जो वो सुनना चाहते हैं। यूक्रेनी अधिकारी पुतिन को अपरिपक्व इतिहासकार ठहराते हैं। वह कहते हैं कि क्या पुतिन ने यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले वहां के लोगों की बहादुरी और देश के प्रति प्रेम के जज्बे पर विचार नहीं किया था। उनके सामने तो दूसरे विश्व युद्ध में तत्कालीन सोवियत सेना में शामिल यूक्रेनी सैनिकों की बहादुरी का उदाहरण भी था।

हमले से पहले रूस की सशस्त्र सेनाओं के प्रमुख और पुतिन के सबसे शीर्ष सैन्य कमांडर वैलेरी गेरासिमोव ने भी उन्हें आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन पर हमला सीधा सपाट नहीं होने वाला। क्या फेल हो रही है पुतिन की योजना चार दिन के युद्ध के बाद जो नजर आ रहा है, उससे यह लग रहा है कि सब कुछ पुतिन की योजना के मुताबिक नहीं चल रहा है।

हालांकि, रूस को विफल करार देना अभी जल्दबाजी होगी, क्योंकि युद्ध तो अभी शुरू ही हुआ है। ताकत के मामले में रूस के सामने यूक्रेन की सेना कहीं नहीं टिकती। रूस जब चाहे यूक्रेन पर कब्जा कर लेगा। अगर ऐसा नही हो रहा है तो निश्चित तौर पर यह पुतिन की योजना का हिस्सा ही हो सकता है, उससे अलग नहीं।

यूक्रेन पर हमला करने वाले रूसी सैनिकों को भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। यूक्रेनी नागरिक रूसी टैंकों का रास्ता रोक रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर इसके वीडियो वायरल हो रहे हैं। यूक्रेनी नागरिकों के इस विरोध के वीडियो से तीन दशक पहले के चीन के तियानमेन चौक की याद ताजा हो गई है।

पांच जून, 1989 को चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने लोकतंत्र की मांग को लेकर तियानमेन चौक पर जमा हुए छात्रों पर टैंक चढ़वा दिया था जिसमें कई छात्रों की मौत हो गई थी। तब एक तस्वीर सामने आई थी, जब एक निहत्था व्यक्ति टैंक के सामने खड़ा दिखाई दे रहा था। कुछ वैसा ही नजारा कीव और यूक्रेन के अन्य शहरों में नजर आ रहा है। एक तस्वीर में एक नागरिक रूसी टैंक के सामने खड़ा है और उसे आगे बढ़ने से रोकता है। इसी तरह के एक व्यक्ति कतार में आ रहे रूसी टैंकों को रोकने की कोशिश करता नजर आ रहा है।

यूक्रेन के एक जांबाज सैनिक की काफी चर्चा हो रही है जिसने रूसी सेना को रोकने के लिए एक पुल को समेत खुद को बम से उड़ा दिया।

यूक्रेनी सैनिक विताली स्काकुन वोलोदोमिरोविच खेरसान के दक्षिणी प्रांत में हेनिचेस्क पुल की सुरक्षा कर रहे थे। तभी रूसी सैनिकों के काफिले को रोकने के लिए उन्होंने यह सर्वोच्च बलिदान किया। सैनिक के इस बलिदान को यूक्रेन में काफी सराहा जा रहा है। यूक्रेन की सेना विताली को अपना हीरो बता रही है।

यूक्रेन की सेना ने इंटरनेट मीडिया पर यह जानकारी साझा की है। इसमें बताया गया है हेनिचेस्क पुल रूस के अधिकार वाले क्रीमिया को यूक्रेन से जोड़ता है। यहां पर मैरीन बटालियन के इंजीनियर विताली की तैनाती की गई थी। जब विताली ने रूसी टैंकों को अपनी तरफ बढ़ते देखा तो उसके पास ब्रिज में बम फिट करने के बाद खुद सुरक्षित स्थान पर जाने का पर्याप्त समय नहीं था। अपनी जान की परवाह किए बगैर सैनिक ने ब्रिज के साथ खुद को उड़ा लिया। हेनिचेस्क ब्रिज को तबाह करने के बाद रूसी सैनिकों की गति को कम करने में काफी मदद मिली और वह अपने मंसूबे पूरे नहीं कर सके।