नई दिल्ली। मुंशी प्रेमचंद देश ही दुनिया भर के पाठकों के प्रिय हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी लेखनी के दम पर लोगों के दिलों में जगह बनाई है। साधारण शब्दों के जरिये अपनी कहानियों और उपन्यासों में जादू सा बिखेरने वाले प्रेमचंद हर वर्ग में लोकप्रिय हैं, बावजूद इसके कि उनकी कृतियों में ग्रामीण परिवेश ही केंद्र रहा है।
‘गोदान’ ‘कर्मभूमि’ ‘रंगभूमि’ और ‘निर्मला’ ‘सेवा सदन’ ‘प्रेमाश्रय’ जैसे उपन्यास लिखकर भारतीय समाज के असली चरित्र और सामाजिक विद्रूपताओं को सामने लाने वाले प्रेमचंद इकलौत भारतीय लेखक हैं, जिन्हें दुनियाभर में अपनाया और सराहा गया। आइये नजर डालते हैं उनकी 8 चुनिंदा और उम्दा कहानियों पर, जिन्हें पढ़कर लोग आज भी भावुक हो जाते हैं।
1. ईदगाह: प्रेमचंद के लेखन की सबसे बड़ी खूबी यह भी है कि वे अपने किरदारों के मनोविज्ञान को अच्छी तरह समझते थे। यही वजह है कि उनके किरदार किसी भी समाज और वर्ग से संबंध रखते हो, लेकिन वे जमीन से जुड़े रहते थे। प्रेमचंद की बहुचर्चित कहानी ‘ईदगाह’ का पात्र हामिद अपने परिवार के प्रति समर्पण और दादी के उस दर्द को महसूस कराता है, जो जाने अनचाने और चाहे अनचाहे फिलहाल हमारे आपके जीवन से गायब है। ईदगाह की कहानी इसके प्रमुख पात्र हामिद के इर्द गिर्द ही घूमती है। मन पर गहरा प्रभाव छोड़ने वाली यह कहानी प्रेमचंद की चुनिंदा कहानियों में शुमार है। गहरी संवेदना समेटने वाली ईदगाह कहानी हर किसी को पढ़नी चाहिए, जिससे हममें मनुष्यता जिंदा रहे। माता-पिता को खोने वाला हामिद बच्चा होने के बावजूद यह जानता है कि रोटियां बनाने के दौरान उसकी दादी का हाथ जल जाता है। संवेदना से भरपूर यह कहानी पाठकों की आंखों में आंसू भर देती है।
2. बड़े भाई साहब: प्रेमचंद की ‘बड़े भाई साहब’ कहानी बेहद उम्दा है। यह कहानी बताती है कि अनुभव के आगे विद्या फीकी है। ज्ञान हमें सिर्फ किताबों से नहीं, बल्कि जीवन से भी मिलता है। कहानी मूल सार यही है कि जीवन का अनुभव ही असली है और उसी से बुद्धि का विकास होता है। किताबें हमें ज्ञान देती हैं, लेकिन व्यवहार हमें जीने का सलीका सिखाता है। ऐसे में किताबें बढ़कर ज्ञान हासिल किया जा सकता है और परीक्षा पास की जा सकती है, लेकिन अनुभव हमें जीवन ही सिखाता है।
3. कफन: दर्द और संवेदना में लिपटी प्रेमचंद की यह कहानी आज भी समाज में व्याप्त मानसिक शोषण को बयान करती है। इस कहानी में समाज में व्याप्त शोषण व्यवस्था व उनके दुष्परिणामों को सशक्त ढंग से अभिव्यक्त किया गया है। जो शख्स दो जून की रोजी रोटी नहीं जुटा पा रहा है वह कफन कहां से खरीदे? जिंदा लोगों के लिए जीवनयापन का साधन नहीं है, लेकिन मृत्यु के बाद कई उसकी विदाई पर खर्च से आदमी टूट जाता है।
4. नमक का दारोगा: प्रेमचंद की चर्चित कहानियों में शामिल ‘नमक का दारोगा’ का प्रमुख स्थान है। इसमें बताया गया है कि कैसे एक ईमानदार नमक निरीक्षक कालाबाजारी के विरुद्ध आवाज उठाता है। ‘नमक का दारोगा’ कहानी धन के ऊपर धर्म के जीत की है। यह कहानी में मानव मूल्यों का आदर्श रूप दिखाया गया है और उसे सम्मानित भी किया गया है। यह कहानी पाठक के मन को द्रवित कर देती है।
5. पंच परमेश्वर: धर्म, इंसानियत, समाज और न्याय व्यवस्था की बात कहने वाली कहानी ‘पंच परमेश्वर’ प्रेमचंद की बेहद लोक कहानियों में शामिल है। कहानी पढ़ने के दौरान ग्रामीण परिवेश आंखों से घूमने लगता है। कहानी मूलमंत्र मित्रता की कसौटी। जुम्मन के पूज्य पिता, जुमराती, उन्हें शिक्षा प्रदान करते थे। जुम्मन शेख अलगू चौधरी में गाढ़ी मित्रता थी। बचपन की यह मित्रता जब कसौटी पर आती है तो तह ईमान के आगे दोनों झुक जाते हैं।
6. दो बैलों की कथा : ग्रामीण परिवेश की यह कहानी आज भी खूब पसंद की जाती है। दो बैलों की कथा दो बैल हीरा और मोती की कहानी है। जानवरों को समर्पित यह कहानी दरअसल मनुष्य का अदृष्य जुड़ाव भी दिखाती है। अपने मालिक से बेइंतहा प्यार करने वाले हीरा और मोती बिछड़ जाते हैं और एक नए स्थान पर जाते हैं। दूसरे मालिक के घर पर वह एक दर्द से गुजरते हैं। एक रात इनका खूटा खुल जाता है और और दोनों को भगाने में मदद करती है। इस तरह दोनों वापस अपने घर आते हैं अपने मालिक के पास। यह कहानी आदमी और पशुओं के प्रति अदृष्य प्रेम को दर्शाती है।
7. पूस की रात : गांव में अभाव और गरीबी की पीड़ा की यह कहानी बेहद चर्चित है। कहानी का नायक इतना गरीब है कि ‘पूस की रात’ की कड़कती सर्दी से बचने के लिए एक कंबल खरीद सके। यह कहानी पढ़कर पाठक कुछ देर के लिए सही ग्रामीण परिवेश को लेकर सोचता जरूर है।
8. मंत्र: दो किरदारों के बीच संवेदनशीलता और संवेदनहीनता को बयां करने वाली प्रेमचंद की ‘मंत्र’ कहानी का अंत यह सोचने के लिए मजबूर कर देता है कि मनुष्य का दूसरे मनुष्य के साथ सिर्फ रिश्ता भर नहीं है। संवेदना वह पुल है, जो मनुष्यता पैदा करता है।
यहां पर बता दें कि 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गांव में जन्मे प्रेमचंद ने 300 से अधिक कहानियां और गोदान समेत डेढ़ दर्जन उपन्यास लिखे हैं। 8 अक्टूबर, 1936 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कहने से पहले प्रेमचंद ने रचना का वह पूरा संसार दिया, जो सृष्टि रहने तक रहेगा। यहां पर बता दें कि बंगाली लेखक शरतचंद्र चटर्जी ने प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट की संज्ञा दी।