नई दिल्ली। हीटवेव ने इन दिनों भारत के कई राज्यों को अपनी चपेट में ले रखा है। हीटवेव के चलते लोग घरों से निकलने में भी सोचने लगे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में पहले के मुकाबले हीटवेव के दिन अत्यधिक गर्म और लंबे हो गए हैं। आमतौर पर यह चार से आठ दिनों तक होता था, लेकिन अब 20 दिनों तक चल रहा है। ऐसे में लोगों को हीटवेव के असर से बचाने के लिए मौसम विभाग द्वारा समय-समय पर एडवाइजरी भी जारी की जाती हैं।
देश में अधिकांश हिस्सों में अप्रैल से हीटवेव या गंभीर हीटवेव की स्थिति देखी गई। मई तक इसका असर ज्यादा हो गया। सबसे ज्यादा परेशानी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में देखने को मिली। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि आर्द्रता का स्तर काफी बढ़ गया और रात के समय ठंडक कम हो गई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में लू की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। अब लू 20 दिन तक चलते हैं। पिछले दो वर्षों में ही भारत ने 328 लू वाले दिन देखे हैं। वहीं 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म वर्ष था। विशेषज्ञ इन सबके लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार मानते हैं। उनके मुताबिक, इससे चरम मौसम की घटनाओं की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ जाती है। गर्मी का असर इंसानों पर भी पड़ रहा है।
विशेषज्ञ इन गर्म लहरों के लिए दो कारण की ओर इशारा करते हैं। पहला, अल नीनो का प्रभाव देखने को मिला, जो भूमध्य रेखीय प्रशांत महासागर में पानी के असामान्य गर्म होने का कारण बनता है। इससे हीटवेव बढ़ती है। दूसरा, दक्षिणी प्रायद्वीप और दक्षिण-पूर्वी तटीय क्षेत्रों पर उच्च दबाव प्रणालियों की उपस्थिति है। ये तेज गति से चलने वाली गर्म हवाएं पृथ्वी की सतह के करीब आती हैं, जिससे गर्मी बढ़ जाती है।
आमतौर पर सभी गर्म दिन हीटवेव नहीं होते। मैदानी इलाकों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक या सामान्य से 4.5 डिग्री अधिक होता है, तब लू की घोषणा होती है। वहीं तटीय क्षेत्र में यह सामान्य से 37 डिग्री सेल्सियस या 4.5 डिग्री से अधिक रहने पर। एक क्षेत्र में दो केंद्रों को लगातार दो दिनों तक यह तापमान रिकॉर्ड करना होगा। भीषण गर्मी के लिए पारा सामान्य से 6 डिग्री सेल्सियस अधिक होना चाहिए।
अहमदाबाद में मई, 2010 में हीटवेव के कारण 800 लोगों की जान जाने के तीन साल बाद भारत की पहली हीटवेव कार्ययोजना विकसित की गई थी। अब कई राज्यों के पास अपनी कार्य योजनाएं हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसके लिए मानदंड को फिर से परिभाषित करने का सुझाव देते हैं। हीटवेव की तीव्रता के बारे में स्थानीय जानकारी से अधिकारियों को बेहतर निवारक कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।