काशीपुर. काशीपुर के ऐतिहासिक चैती मेले में दो साल बाद फिर से नकासा बाजार लगाया जाएगा। मां भगवती बाल सुंदरी के ऐतिहासिक चैती मेले में लगने वाला नखासा मेले को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। चैती मेले में लगने वाले नखासा मेले को लेकर इस बार घोड़ों के शौकीन उत्साहित हैं। नवरात्र व हिंदू नववर्ष के शुरू होने के दिन दो अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। मेला एक महीने तक चलेगा।

मेले की खास बात यह है कि यहां देश की सबसे अच्छी प्रजाति के घोड़े मिला करते हैं। एक समय तो यहां के घोड़े इतने प्रसिद्ध थे कि देशभर के दुर्दांत अपराधी भी इनके कायल थे। डाकू यहां से घोड़े खरीद कर ले जाया करते थे। सुल्ताना डाकू का यहां से खास लगाव था। ऐसा इसलिए भी था क्योंकि मां भगवती बाल सुंदरी उसकी कुल देवी थीं और वह हर साल यहां प्रसाद चढ़ाने के लिए आया करता था।

मेले से डाकू मान सिंह के अलावा फूलन देवी भी घोड़े खरीद कर ले जाती थीं। बताया जाता है कि चैती मेले में नखासा मेला करीब 150 साल पहले रामपुर निवासी घोड़ों के बड़े व्यापारी हुसैन बख्श ने शुरू किया था। नगर के चैती मंदिर के मुख्य पंडा विकास अग्निहोत्री बताते हैं कि मेले के साथ-साथ काशीपुर का चैती नखासा मेला भी भारत में प्रसिद्ध है।

एक समय दूर-दूर से यहां लोग मां के दर्शन करने और घोड़ा खरीदने के लिए आते थे। सुल्ताना डाकू का भी यहां काफी आना-जाना रहा है। वह मां के दर्शन करने और घोड़ा खरीदने के लिए यहां आया करता था। विकास बताते हैं कि नखासा मेला लगभग 500 से 700 साल पुराना है। मां भगवती की कृपा से इस बार भी मेला लगेगा और भक्त मां के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचेंगे।

जानकार बताते हैं कि एक समय यहां अफगानिस्तान, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के व्यापारी घोड़े लेकर आते और खरीद कर भी ले जाते थे। डाकू मेले में घोड़े खरीदने सामान्य खरीदार के वेश में आते थे और किसी को भी परेशान नहीं करते थे। बीते सालों में भी नखासा मेले में पंजाब, गुजरात, यूपी, हरियाणा के लोग घोड़े खरीदने के लिए आते रहे हैं।

40 हजार से लेकर 40 लाख तक के घोड़े
चैती मेले के नखासा बाजार की बात करें तो यहां 40 हजार से लेकर 40 लाख से ज्यादा तक के घोड़े बिक्री के लिए आते हैं। इस मेले में रिछा, बहेड़ी, बदायू और रामपुर, राजस्थान से घोड़े बिक्री को आते हैं। जानकार बताते हैं कि एक समय यहां भारत के विभिन्न क्षेत्रों से नहीं बल्कि अफगानिस्तान, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश के व्यापारी घोड़े लेकर आते और खरीद कर भी ले जाते थे।

डाकू मेले में घोड़े खरीदने सामान्य खरीदार के वेश में आते थे और किसी को भी परेशान नहीं करते थे। बीते सालों में भी नखासा मेले में पंजाब, गुजरात, यूपी, हरियाणा के लोग घोड़े खरीदने के लिए आते रहे हैं।

चार से पांच पीढियों से घोड़े लेकर आते हैं व्यापारी
रामपुर व बिजनौर व राजस्थान क्षेत्रों से पिछले चार से पांच पीढियों से चैती मेले में अपने घोड़े लेकर आते हैं। इसमें से एक रामपुर निवासी चौधरी शौकत के लिए चैती मेला घर जैसा हैं। उनकी पांच पीढिया इस मेले में घोड़े का व्यापार करने आते हैं। उनके परदादा ने ही चैती मेेले में भी नकाशा बाजार लगाने की शुरूआत कराई थी।

सभी प्रकार की नस्लों के घोड़े मिलते है नकासा बााजर में
चैती मेले में लगने वाले नकासा बाजार में मारवाड़ी, सिंघी, कठियावाणी, स्पीति मणिपुरी आदि के नस्ल के घोड़े आते हैं। इसमें मारवाडी घोड़े, मणिपुरी और कठियावाणी नस्ल के घोड़े सबसे तेज हाेते हैं राजस्थान से मारवाड़ी और सिंधी घोडे लाए जाते हैं। चैती मेले में इन घोड़ाें की खरीदारी करने वालों में रामपुर, हरियाणा और तराई के फार्म हाउस मालिक भी आते हैं जो शोक लिए इन्हें खरीदते हैं।