नई दिल्ली. टीम इंडिया के सेंचुरियन टेस्ट जीतने में केएल राहुल की भूमिका सबसे अहम रही थी. उन्होंने पहली पारी में शतक ठोककर जीत की नींव रखी. जिसे गेंदबाजों ने अंजाम तक पहुंचाया. लेकिन राहुल के लिए यह सब इतना आसान नहीं रहा. 2 साल पहले खराब प्रदर्शन के कारण उन्हें टीम इंडिया से ड्रॉप कर दिया गया था लेकिन आज वह वनडे टीम के कप्तान और टेस्ट में उप-कप्तान बन गए हैं. आखिर कैसे केएल राहुल का करियर पटरी पर लौटा. कैसे वो अपनी बल्लेबाजी की कमजोरी को दूर करके गेंदबाजों के लिए दोबारा काल बने.

केएल राहुल के करियर को पटरी पर लाने में उनके बचपन के दोस्त डेविड मथायस की भूमिका अहम रही. डेविड भी कर्नाटक की तरफ से फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेल चुके हैं. लेकिन उनका करियर बहुत लंबा नहीं रहा और सिर्फ पांच मैच ही खेल पाए. फिलहाल, वो दवाईयों का बिजनेस करते हैं. लेकिन राहुल और वो बचपन के दोस्त हैं. दोनों ने एज ग्रुप क्रिकेट एक साथ खेला है.’

ऐसे में टीम से ड्रॉप होने के बाद केएल राहुल ने एक दिन उन्हें फोन किया. इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में मथायस ने इससे जुड़ा किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि एक दिन राहुल का उनके पास फोन आया कि क्या हम आज रात डिनर के लिए मिल सकते हैं? मथायस ने फोन पर बात करने के दौरान महसूस किया कि उनके दोस्त थोड़े परेशान हैं. यह 2019 था. जब केएल राहुल को टीम इंडिया से बाहर कर दिया गया था. इससे वो बहुत बुरा और नकारात्मक महसूस कर रहे थे. इसके बाद दोनों दोस्त मिले और फिर केएल राहुल के करियर को पटरी पर लाने का काम शुरू हुआ.

बचपन के दोस्त ने पकड़ी बड़ी कमजोरी
केएल राहुल और मथियास ने बेंगलुरु एयरपोर्ट के पास एक मैदान में प्रैक्टिस करने का फैसला किया. यहां उनका एक और दोस्त अपनी क्रिकेट एकेडमी चलाता था. अगले दिन से राहुल और दोस्त मथियास ने उस एकेडमी में ट्रेनिंग शुरू कर दी. करीब दो हफ्ते तक दोनों रोज सुबह एकेडमी में पहुंचते और घंटों नेट्स पर प्रैक्टिस करते. मथियास को राहुल की बल्लेबाजी में समस्या का पता लगाने में देर नहीं लगी. 2018 में, इंग्लैंड में, राहुल क्रीज में खड़े होकर ही फ्रंट पैड के चारों तरफ शॉट्स खेलने की कोशिश कर रहे थे. इसी वजह से उन्हें अंदर आने वाली गेंदों के अलावा अपना ऑफ स्टम्प समझने में परेशानी हो रही थी. इतना ही नहीं, तब गेंद पर उनका बल्ला ज्यादा जोर से आ रहा था. केएल राहुल की इस गलती को दोस्तों ने फौरन पकड़ लिया.

‘केएल राहुल को अंदर आने वाली गेंद से परेशानी हो रही थी’
मथियास ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, “मैं देख सकता था कि उसे (केएल राहुल) को अंदर आने वाली गेंदों से परेशानी हो रही थी. शॉट खेलते वक्त उनका बल्ला शरीर से बहुत दूर जा रहा था और सिर गिर रहा था. मैंने महसूस किया कि जब सिर अच्छी स्थिति में नहीं होता है, तो आपका बल्ला गेंद पर सीधा नहीं आता है. ऐसे में जब गेंद अंदर की तरफ आती है तो फिर पैड और बैट के बीच बड़ा गैप बन जाता है और विश्व स्तरीय गेंदबाज बड़ी आसानी से इसका फायदा उठा सकते हैं और इंग्लैंड में राहुल के साथ वही हुआ था.”

उन्होंने आगे बताया कि मैंने केएल राहुल की बल्लेबाजी में जो कमी महसूस की. वही, उन्हें बताया. मैंने उन्हें 10 और बेकार की बातें कही होंगी. लेकिन एक बात बिल्कुल सही समझ आ गई. उस समय मुझे भी नहीं पता था कि इससे उनकी बल्लेबाजी में इतना बड़ा अंतर आ जाएगा.

केएल राहुल का स्टांस पहले के मुकाबले ज्यादा संतुलित
मथियास ने आगे बताया, “जैसे-जैसे प्रैक्टिस में दिन बीतने लगे. केएल राहुल को अपनी बल्लेबाजी में मजा आने लगा. तब एकेडमी में दूसरे खिलाड़ी भी नहीं थे और कोच वही थे, जिनके साथ हम सभी ने बचपन से काम किया है. केएल राहुल की बल्लेबाजी को जज करने वाला कोई नहीं था. इसलिए वो बिना किसी चिंता के घंटों प्रैक्टिस करते रहे. इस दौरान हमने उनकी बल्लेबाजी के वीडियो भी रिकॉर्ड किए और फिर पुराने वीडियो से उनकी तुलना की तो तस्वीर और साफ हो गई. राहुल भी इस बात से खुश थे कि वो अब गेंद को ज्यादा जोर से खेलने की कोशिश नहीं कर रहे हैं और उनके हाथ और सिर गेंद की लाइन में ठीक ढंग से आ रहे हैं. इस वजह से उनका स्टांस भी संतुलित हुआ और उन्होंने दोबारा गेंदबाजों की क्लास लेनी शुरू कर दी.

केएल राहुल ने 2021 में टेस्ट में 2 शतक ठोके
केएल राहुल ने पिछले साल 5 टेस्ट में 46 के औसत से 461 रन बनाए थे. उन्होंने इंग्लैंड के अलावा हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में भी पारी की शुरुआत करते हुए शतक ठोका और दोनों ही मौकों पर टीम इंडिया टेस्ट जीतने में सफल रही. केएल राहुल ने अपने 7 टेस्ट शतक में से 6 विदेशी जमीन पर लगाए हैं.