नई दिल्ली. कर्मचारी भविष्य निधि कर्मचारियों के लिए सरकार के जरिए चलाई जा रही प्रबंधित सेवानिवृत्ति बचत योजना है. हर महीने, कर्मचारी भविष्य निधि के लिए अपने वेतन का एक हिस्सा योगदान करते हैं. इस योजना का उद्देश्य रोजगार से सेवानिवृत्ति के समय ब्याज सहित एकमुश्त भुगतान प्राप्त करना है. भारत में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन या ईपीएफओ, भविष्य निधि के नियमन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है.
भारत सरकार की मदद से शुरू किए गए प्रसिद्ध बचत कार्यक्रमों में से एक कर्मचारी भविष्य निधि या ईपीएफ है. संगठन की स्थापना 1951 में हुई थी और इसकी देखरेख श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार के जरिए की जाती है. श्रम मंत्रालय भारत में ईपीएफ कार्यक्रमों को नियंत्रित करता है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन इस बचत योजना का संचालन करता है. इसे ईपीएफओ भी कह सकते हैं.
यह योजना एक व्यक्ति को एक बड़ी सेवानिवृत्ति निधि जमा करने में मदद करने का प्रयास करती है. यह वेतनभोगी वर्ग के कर्मचारियों में पैसे बचाने की आदत डालता है. धन के रूप में नियोक्ता और कर्मचारी योगदान फंड में शामिल हैं. उनमें से प्रत्येक को कर्मचारी के मूल वेतन (मूल और महंगाई भत्ता) के 12% के बराबर इस फंड में मासिक योगदान देना आवश्यक है.
हालांकि अगर किसी को रिटारमेंट से पहले इस फंड से राशि निकाली है तो वो भी हो सकता है. लेकिन इसके लिए कुछ दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है. इस दस्तावेजों की मदद से आसानी से पीएफ का पैसा निकाला जा सकता है.
– कम्पोसिट क्लेम फॉर्म.
– दो रेवेन्यू स्टाम्प.
– बैंक खाते की डिटेल (बैंक खाता केवल पीएफ खाता धारक के नाम पर होना चाहिए).
– पहचान प्रमाण.
– एड्रेस प्रूफ.
– IFSC कोड और खाता संख्या के साथ एक खाली और कैंसल किया गया चेक.
– व्यक्तिगत जानकारी जैसे पिता का नाम, जन्म तिथि, पहचान प्रमाण के साथ स्पष्ट रूप से मेल खाना चाहिए.
– यदि कोई कर्मचारी 5 साल की लगातार सेवा से पहले अपनी पीएफ राशि निकालता है, तो वह हर साल पीएफ खाते में जमा पूरी राशि का विस्तृत ब्रेकअप साबित करने के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) फॉर्म 2 और 3 की सुविधा देने के लिए उत्तरदायी होगा.