मथुरा: ब्रज के राजा श्री दाऊजी महाराज का प्रसिद्ध कपड़ा फाड़ बलदेव का हुरंगा इस बार 19 मार्च को आयोजित होगा। दाऊजी मंदिर में इस आयोजन की तैयारी भव्यता के साथ चल रही हैं। इससे पहले ही बलदेव में महिलाओं की बलदेव परिक्रमा शुरू होने जा रही है, जिसमें गोपिकाओं के स्वरूप में परंपरागत परिधानों में सज धजकर यहां की महिलाएं होली के गीत गाते हुए बलदेव परिक्रमा करती हैं। हुरंगा में रंगों के साथ कोड़े बरसते हैं। कहा जाता है कि अगर ब्रज की होली के बाद हुरंगा नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा।

ब्रज में होली का उत्सव अब अपने चरम पर है। मंदिरों के मुख्य आयोजन 10 मार्च से शुरू होने जा रहे हैं। इसकी शुरुआत बरसाना की लड्डू होली से होने जा रही है। इसी दिन बलदेव में होली के गीतों के स्वर गूंजने लगेंगी। महिलाएं परंपरागत परिधानों में सजधज कर बलदेव की परिक्रमा करते हुए होली के गीतों का गायन करेंगी। गोपिका स्वरूप में बलदेव की महिलाएं हुरंगा तक परिक्रमा करती हैं। हालांकि वसंत पंचमी से श्रीदाऊजी महाराज मंदिर में होली के रसिया गायन हो रहे हैं। वाद्य यंत्रों पर समाज गायन में विभिन्न प्रकार होली पदों का गायन किया जा रहा है। सुबह-शाम गुलाल श्रद्धालुओं पर उड़ाया जा रहा है।

शुरू हुई हुरंगा की तैयारी
बलदेव में होली का उत्सव परवान चढ़ने लगा है। मंदिर रिसीवर आरके पांडेय व पुजारी रामनिवास शर्मा ने बताया प्रसिद्ध हुरंगा का आयोजन बलदेव में 19 मार्च को होगा। इसके लिए सभी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। विभिन्न प्रकार के गुलाल, भुड़भुड़ व टेसू के रंग हाथरस सहित अन्य स्थानों से मंगाए जा रहे हैं। होलाष्टक से श्री दाऊजी महाराज को टेसू के रंग लगाकर श्रद्धालुओं पर इस रंग की वर्षा प्रारंभ हो जाएगी।

प्राचीन है हुरंगा की परंपरा
ज्ञानेंद्र पांडेय ने बताया विश्व प्रसिद्ध हुरंगा का इतिहास 425 वर्षों से भी अधिक प्राचीन है। हुरंगा के लिए गोप व गोपी स्वरूप तैयारी कर रहे हैं। गोप समाज गायन में श्री दाऊजी महाराज को विभिन्न पदों से सुशोभित कर हुरंगा की तैयारी कर रहे हैं। दाऊजी के हुरंगा को देखने के लिए देश-विदेश से लाखों लोग प्रतिवर्ष आते हैं।

हुरंगा का विशेष महत्व
भगवत पांडेय उर्फ चकाचक पांडेय ने बताया श्री दाऊजी के हुरंगा का अपना विशेष महत्व है। इसकी पहचान पूरे विश्व में है। इसमें सभी गोप व गोपिका हुरंगा खेलती हैं। गोपी, गोपों के कपड़े फाड़कर उनके कोड़े बनाकर गोपों की पिटाई करती हैं, तो बड़ा ही आनंद व हर्ष उल्लास छा जाता है।

कृष्ण-बलराम की लीला का उत्सव
कुसुम पांडेय ने बताया यह हुरंगा श्रीकृष्ण-बलराम का साक्षात स्वरूप है। इसमें भगवान के स्वरूप में गोप और गोपिका होते हैं। इसमें शामिल होने वाले भक्त भी आनंदित हो जाते हैं। हुरंगा की तैयारी जोरों पर हैं।

हुरंगा नहीं, तो कुछ नहीं देखा
शोभा पांडेय ने बताया होली के दौरान जिसने दाऊजी महाराज का हुरंगा नहीं देखा तो समझो उसने ब्रज की होली महोत्सव का आनंद नहीं लिया। होली के आनंद की कल्पना शब्दों में बखान नहीं की जा सकती। कहा भी जाता है ब्रज की होरी को देखकर ब्रह्मा जी भी ललचा गए।