वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को एक नया मोड़ आया है। मस्जिद के भीतर शिवलिंग मिलने का दावा किया गया है। वजूखाने के भीतर कथित तौर पर मिले शिवलिंग को संरक्षित करने के लिए वकील हरिशंकर जैन की ओर से वाराणसी सिनियर डिविजन की कोर्ट में याचिका डाली गई थी। याचिका की तमाम दलीलों पर गौर करने के बाद पीठासीन जज रवि दिवाकर ने याचिका स्वीकार कर ली। साथ ही उन्होंने वाराणसी प्रशासन को आदेश दिया है कि वह शिवलिंग वाली जगह को सील कर उसे संरक्षित और सुरक्षित करने की जिम्मेदारी ले। आइए जानते हैं कोर्ट ने अपने आदेश में क्या-क्या कहा है-
कोर्ट ने आदेश में क्या कहा-
राखी सिंह आदि बनाम उत्तर प्रदेश सरकार मूलवाद संख्या 693/2021 पर दिनांक 16 मई 2022 को हुई सुनवाई में कोर्ट ने बताया कि अधिवक्ता हरिशंकर जैन की ओर से प्रार्थना पत्र (78-ग) प्रस्तुत करके कहा गया है कि 16 मई 2022 को मस्जिद कॉम्प्लेक्स अंदर शिवलिंग पाया गया है। यह मामले में बहुत ही महत्वपूर्ण साक्ष्य है, इसलिए जिलाधिकारी वाराणसी को यह आदेश दिया जाए कि वह इसे सील कर दें। इसके अलावा इस खास जगह पर मुसलमानों का प्रवेश वर्जित कर दें। मस्जिद में मात्र 20 मुसलमानों को नमाज अदा करने की इजाजत दी जाए और उन्हें वजू करने से तत्काल रोक दिया जाए।
कोर्ट के पीठासीन अधिकारी रवि दिवाकर ने कहा कि मैंने संपूर्ण पत्रावली का परिशीलन किया है। पत्रावली को देखने से स्पष्ट है कि कोर्ट ने मस्जिद परिसर के कमीशन की कार्रवाई का आदेश दिया था। वादी गणों का कहना है कि कॉम्प्लेक्स में प्राप्त शिवलिंग को संरक्षित करना आवश्यक है, इसलिए न्यायहित में प्रार्थना पत्र 78-ग स्वीकार किए जाने के योग्य है।
कोर्ट ने क्या दिया आदेश
कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा, हरिशंकर जैन की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र 78-ग को स्वीकार किया जाता है। इसके साथ ही वाराणसी के जिला मैजिस्ट्रेट को आदेश दिया जाता है कि जिस स्थान पर शिवलिंग प्राप्त हुआ है, उस स्थान को तत्काल प्रभाव से सील कर दे। सील किए गए स्थान पर किसी भी व्यक्ति का प्रवेश वर्जित किया जाता है। इसके अलावा वाराणसी के जिलाधिकारी, पुलिस कमिश्नर, पुलिस कमिश्नरेट और सीआरपीएफ कमांडेंट की उस स्थान को संरक्षित और सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी पूर्णतः व्यक्तिगत रूप से मानी जाएगी।
कोर्ट ने कहा, ‘सील किए गए स्थान को लेकर प्रशासन की ओर से क्या-क्या किया गया है, इसके सुपरविजन की जिम्मेदारी यूपी के पुलिस महानिदेशक और यूपी शासन के मुख्य सचिव की होगी।’ कोर्ट ने अंत में कहा कि वाद लिपिक को आदेश दिया जाता है कि वह बिना देर किए इस आदेश की प्रति को संबंधित अधिकारियों को नियमानुसार भेजे। साथ ही पत्रावली पहले से निर्धारित तिथि 17 मई 2022 को कमीशन रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए पेश किया जाए।