कौशांबी. ‘जाको राखे साईंया, मार सके न कोई’ यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी. लेकिन यह कहावत फतेहपुर जिले के समापुर गांव की रहने वाली 75 वर्षीय शांति देवी पर सटीक बैठती है. आपको विश्वास नहीं होगा, 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला, गंगा नदी में एक लकड़ी के सहारे हिम्मत करके फतेहपुर से कौशांबी तक पहुंच गयी.
दरअसल, शांति देवी अपने घर से गंगा नदी के पास शौच के लिए गयी थी. उसी दौरान उनका पैर फिसल गया और वो गंगा नदी में गिर गयी. गंगा नदी में बहाव तेज था. शांति देवी ने गंगा में तैर रही एक लकड़ी को पकड़ लिया. नदी का बहाव कौशांबी की तरफ था. शांति देवी ने 40 किलोमीटर तक लकड़ी को नहीं छोड़ा. कौशांबी के कनथुआ गंगा घाट पर कुछ लोगों ने शांति देवी को देखा तो गंगा नदी में कूदकर बाहर निकाला. शांति देवी को स्थानीय ग्रामीणों ने देखभाल कर एंबुलेंस की मदद से जिला अस्पताल भेज दिया.
घटना की सूचना शांति देवी के परिवार के लोगों को मिलते ही वो लोग भी फतेहपुर से कौशांबी आ गए. शांति देवी फिलहाल अस्पताल में डॉक्टरों की रेख देख में हैं. शांति देवी के पुत्र रामसजीवन ने बताया कि मां शौच के लिए गयी थी, लेकिन लौटकर वापस नहीं आई. जिससे वो काफी परेशानी थे. शांति देवी की उम्र देखकर कोई भी इस बात पर यकीन नहीं करेगा कि 75 वर्ष की वृद्ध महिला रात में 40 किलोमीटर गंगा नदी में लकड़ी के सहारे कौशाम्बी आ गयी, लेकिन ये सच है. शांति देवी ने जब ग्रामीणों को बताया तो वो भी आश्चर्यचकित रह गए. जिस तरह से इस वृद्ध महिला ने रात के अंधेरे में गंगा नदी में लकड़ी के सहारे मौत को मात दिया है, वो काबिले तारीफ है.