नई दिल्ली: भारत सरकार ने आज (मंगलवार को) यूक्रेन में भारतीय नागरिकों की मदद करने के लिए अपने अभियान की तुलना अमेरिका (US), ब्रिटेन और चीन सहित कई अन्य देशों और वहां के नागरिकों के साथ की और कहा कि ऑपरेशन गंगा जारी है और दूतावास भी काम कर रहा है. वहीं अन्य देश इतने बड़े पैमाने पर काम नहीं कर पा रहे हैं और कुछ ने अपने नागरिकों की मदद करने में असमर्थता भी जताई है.
अपने नागरिकों को नहीं निकाल पा रहा चीन
सरकार के एक सूत्र ने कहा, ‘चीन ने अपनी निकासी योजनाओं को स्थगित कर दिया है, जबकि भारत ऑपरेशन गंगा आगे बढ़ रहा है. भारतीयों को वापस लाने के लिए भारत से पड़ोसी देशों के लिए उड़ानें जारी हैं. चीन ने कोई ट्रैवल एडवाइजरी और कोई सहायता तंत्र जारी नहीं किया है, जबकि भारत ने संपर्क नंबर, एडवाइजरी और मदद के लिए समूचे तंत्र की व्यवस्था की है. यूक्रेन में चीनी नागरिकों पर हमले हो रहे हैं जबकि भारतीय झंडे वाली बसों को सुरक्षित रास्ता दिया जा रहा है.’
सरकार ने विपक्ष को दिया जवाब
हालांकि भारतीय नागरिकों के उत्पीड़न के कुछ वीडियो सामने आने के साथ, अपने नागरिकों, ज्यादातर छात्रों को निकालने के लिए भारत के ऑपरेशन में कथित देरी को लेकर कुछ वर्गों, विशेष रूप से विपक्षी दलों की ओर से सरकार की आलोचना की गई है. सरकारी सूत्रों ने आलोचना का जवाब देने के लिए विभिन्न देशों का रिएक्शन शेयर किया और कहा कि भारत अपने नागरिकों की मदद करने में तत्पर रहा है.
अमेरिका भी अपने नागरिकों को निकालने में सक्षम नहीं
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने कहा है कि वो अपने नागरिकों को निकालने में सक्षम नहीं होगा, जो अन्य पड़ोसी देशों के माध्यम से निकासी के लिए यूक्रेनी सीमा पर लंबे वक्त से इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने अपने दावों का समर्थन करने के लिए चीनी मीडिया की खबरों के अलावा अमेरिका और चीन के आधिकारिक बयानों का हवाला दिया.
उन्होंने कहा कि कुछ बिंदुओं पर, अमेरिका ने अपने नागरिकों को यूक्रेनी सीमा पर दो दिनों के लिए भोजन और अन्य सामान ले जाने के लिए कहा और उनके लिए इंतजार की स्थिति भारतीय नागरिकों के समान है. सूत्रों ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ने समान परामर्श जारी किए और सहायता के लिए कई फोन नंबर जारी किए हैं.
अन्य देशों की प्रतिक्रिया का हवाला देते हुए सरकारी सूत्रों ने कहा कि ब्रिटेन ने साफ किया है कि वो यूक्रेन में फंसे अपने नागरिकों की ज्यादा मदद नहीं कर पाएगा जबकि भारत ने युद्ध स्तर पर सहयोग बढ़ाया है.
एक सूत्र ने कहा, ‘ब्रिटिश दूतावास स्थानांतरित हो गया है जबकि कीव में भारतीय दूतावास अब भी काम कर रहा है. ब्रिटेन ने अपने नागरिकों से बिना किसी अतिरिक्त सहायता के यूक्रेनी अधिकारियों की सलाह का पालन करने को कहा है.’
इसी तरह कीव में जर्मन दूतावास भी बंद कर दिया गया है जबकि भारतीय दूतावास अब भी काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि जर्मनी ने साफ किया है कि वो अपने नागरिकों को निकालने की स्थिति में नहीं है जबकि भारतीयों को निकालने का देश का अभियान ‘ऑपरेशन गंगा’ नाम से जारी है.
एक सूत्र ने दावा किया, ‘यूक्रेन के शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, यूक्रेन में 80,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्टूडेंट पढ़ाई करते हैं. उनकी सबसे बड़ी संख्या भारत से आती है.
कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दल, यूक्रेन से भारतीय स्टूडेंट्स को समय पर नहीं निकालने के लिए सरकार की आलोचना कर रहे हैं. उन्होंने रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद, उन्हें निकालने के लिए तत्काल कदम उठाने का आह्वान किया है.