लोकसभा चुनाव से पहले और नया गठबंधन बनने के बाद पहली बार सपा मुखिया अखिलेश यादव बुधवार को मेरठ आए। उन्होंने राली चौहान और धनपुर गांव जाकर न सिर्फ गम पर मरहम लगाने की कोशिश की, बल्कि नए गठबंधन नेशनल डेमोक्रेटिक इन्क्लूसिव एलायंस (इंडिया) को मजबूत करने का बिगुल भी बजा गए।

पगडंडियों से होकर तीन गांव पहुंचे अखिलेश ने भाजपा की केंद्र और प्रदेश दोनों सरकारों पर जमकर हमला बोला। न सिर्फ मणिपुर हिंसा पर घेरा, बल्कि किसानों, बेरोजगारों और भ्रष्टाचार पर भी सरकार पर तंज कसा। आगामी 2024 में लोकसभा चुनाव को लेकर पारा चढ़ने लगा है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवाई में पार्टी ने 2017, 2019 और 2022 का चुनाव लड़ा, लेकिन ओबीसी वोटों के एकमुश्त भाजपा में चले जाने से सपा कमजोर पड़ गई।

पूर्व सहयोगी ओमप्रकाश राजभर समेत कई नेताओं ने आरोप लगाया था कि अखिलेश एसी में बैठकर राजनीति करते हैं, इसीलिए वोट बैंक दरक रहा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा की साइकिल की रफ्तार धीमी रही है। मेरठ में तो महापौर चुनाव में एआईएमआईएम सपा से आगे निकल गई। हालांकि इसके बाद न सिर्फ सपा का जिलाध्यक्ष बदला गया, बल्कि सपाइयों की मांग पर उनका राली चौहान और धनपुर का दौरा बना। पहले यह कार्यक्रम सिर्फ पांचली बुजुर्ग का था। सपाइयों को उम्मीद है कि इससे सपा की साइकिल को नई रफ्तार मिलेगी।

राली चौहान गांव में सैनी समाज के एक ही परिवार के छह लोगों की मौत हो गई थी, जबकि धनपुर में यादव समाज के एक परिवार के छह लोगों की मौत हुई थी। दोनों प्रकरण प्रशासन और पुलिस की अव्यवस्था से जुड़े हैं। अखिलेश यादव ने भावनात्मक वातावरण को भांपा। प्रदेश सरकार को घेरा। सरकार से पीड़ितों के लिए मुआवजे और नौकरी की मांग की। साथ ही अपनी सरकार आने पर पीड़ितों को नौकरी दिए जाने का भी वादा किया। उन्होंने कहा कि पीड़ितों की आवाज उठाना व पीड़ा में साथ खड़े होना जरूरी है।

अखिलेश यादव ने कहा कि मेरठ आते समय सड़क पर मुझे नई ट्रैफिक व्यवस्था दिखी है। एक झुंड बनाकर सांड बैठे थे। जो बता रहे थे कि स्पीड ज्यादा तेज मत करो, अगर की तो जान चली जाएगी। बैंक कर्मचारी की सांड से टकराकर गई जान वाले हादसे को याद करते हुए कहा कि मुझे हादसे का वो दिन आज भी याद है, जब यहां लोगों ने धरना प्रदर्शन किया था। जिस मुद्दे को प्रधानमंत्री ने उठाया वो आज तक खत्म नहीं हो पाया।